हिंदी माध्यम नोट्स
कन्नड़ भाषा का आधुनिक साहित्य क्या है ? kannada language literature modern history in hindi
kannada language literature modern history in hindi कन्नड़ भाषा का आधुनिक साहित्य क्या है ?
कन्नड़ भाषा का आधुनिक साहित्य
कन्नड़ साहित्य दक्षिण भारत के अत्यंत समृद्ध और प्राचीन साहित्यों में से एक है। इसने 19वीं शताब्दी में आधुनिक युग में प्रवेश किया। इस शताब्दी के मध्य तक आते-आते आधुनिक पश्चिम और भारत के अन्य भागों की नई घटनाओं ने कन्नड़ पर अपना प्रभाव डाला।
इस नए युग के आरंभ में कन्नड साहित्य ने गद्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दिखाड़ी। मैसूर के शासक मुममाडि कृष्ण राय ने 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में और उसके बाद भी गद्य लेखन को बहुत प्रोत्साहन दिया। 1823 ई. के कुम्यू नारायण ने ‘मुद्रा मंजूषा‘ जिनमें नई प्रवृत्तियों की झलक स्पष्ट रूप से मिली। उसी साल ‘न्यू टेस्टामेंट‘ (बाइबिल का संशोधित संस्करण) कन्नड़ भाषा में छपा।
सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि उपन्साय और काल्पनिक कथालेखन के क्षेत्र में हुई। एम. एस. पुतन्ना ने उपन्यास की यथार्थवादी ढंग से समाज आर समय का सच्चा प्रतिबिंब बनाने की दिशा में विशेष प्रगति की। 1914 ई. में साहित्य परिषद की स्थापना ने लेखकों को नया प्रोत्साहन दिया। उस समय की कन्नड़ साहित्य की कुछ श्रेष्ठ कृतियां थी: बेतीगेरी का ‘सुदर्शना‘, कृष्ण राव का ‘संख्याराग‘, कस्तूरी का ‘चक्रदृष्टि‘, देवादू का ‘अंतरंग‘, आद्या का विश्वामित्र सुष्टि‘, मुगली का ‘कारण पुरूष‘ और करंथ का ‘बेतडा जीव‘। बेतीगेरी, केरूर, के. वी. अय्यर और मस्ती वैंग उपन्यासकारों ने कुछ ऐतिहासिक उपन्यास भी लिखे। मीरजी, इनामदार, कांतिमणि, कुलकठ शिवराम, के. टी. पौराणिक और हेगड़ें काल्पनि लेखन की नई विचारधारा वाले लेखकों में से थे।
20वीं शताब्दी के प्रथम दो दशकों के दौरान एस. कट्टी, वी. एन. तट्टी, शांत कवि, और काव्यानंद जैसे कवियों ने आधुनिक कविता को एक साहित्यिक रूप दिया। यह एक दिलचस्पी का विपय है कि शताब्दी के दूसरे दशक में कन्नड़ कवियों के बीच कई निश्चित विचारधाराएं उपजी और प्रत्येक विचारधारा वाले कवियों ने कविता के क्षेत्र में काफी योगदान किया। एक विचारधारा वाले कवि थेरू बी. एम. श्रीकांतइया, मस्ती और डी. वी. गुनडप्पा। उन्होंने तालीरू दल र समर्थन किया। दूसरा दल था मित्र मंडली जिसका नेतृत्व पंजे और गोबिंद राय ने किया। और गेलेयारा गुम्पू का मार्ग-निर्देशन करने वाले व्यक्ति थे बेन्द्रे। उपरोक्त विचारधाराओं वाले कवियों ने बड़े कलात्मक और यथार्थवादी ढंग से विभिन्न विषयों पर लिखा। अपनी-अपनी विचारधाराओं के प्रणेताओं का अनुसरण करते हुए अन्य प्रसिद्ध कवियों-के. वी. पुत्तप्पा, वी. सीतारामैया, राजरत्नम्, मधुरा चेन्ना, कादंगोदुल और मुगली-ने कई महान कृतियों का सृजन किया। तीसरे दशक में प्रगतिवादी कवियों का दल उभरा, जिसने एक दमनकारी विश्व को नई आशाओं वाले विश्व में बदलने का आह्वान किया। चैथे दशक और उसके बाद कन्नड़ कविता असीम विचारों के दौर में पहुंची। के. नरसिंहा स्वामी, श्रीधर, अडिग, कानवी, एक्कुंडी और कित्लीगोली जैसे कवियों ने गेय गीतों के क्षेत्र में बहुत योग दिया। परंपरागत विषयों पर लंबी वर्णनात्मक कविताओं की भी अपनी ही लोकप्रियता थी। भगवानबुद्ध और क्राइस्ट पर गोबिंद पाई की वृत्त कविताएं, बेन्द्र का ‘सखी गीत‘, पुत्तप्पा की अतुकांत रामायण, बिनायक के मुक्तछंद में समुद्र गीत (सी सांग) और अन्य विशिष्टि कृतियां कन्नड़ कविता की सजीवता की प्रतीक थीं।
भारत में अन्य स्थानों की भांति कन्नड़ भाषा में भी कहानी आधुनिक साहित्य का एक विशिष्ट पहल है, इस क्षेत्र के अगआ मस्ती थे। उनकी प्रसिद्ध कहानियां हैं-‘सारीपुत्र के अंतिम दिन‘ (द लास्ट डेज आफ सारीपत्र), ‘निजागल को रानी (द रानी आफ निजागल), ‘वस्मति और मोसारीना मंगम्मा‘ (वसुमति एंड मोसारीना मंगम्मा), जिनका आम पाठक पर बहुत प्रभाव पड़ा। वेत्ती गेरी, आनंद, कृष्ण कुमार, गोपाल कृषण राव, और गौरम्मा तथा कई अन्य कहानिकारों ने जीवन और विचार के गहराई तक अध्ययन से कहानी के क्षेत्र का उत्तरोत्तर विस्तार किया।
कन्नड़ नाटक ने अपना आधुनिक रूप 20वीं शताब्दी के पहले दशक के दौरान ग्रहण किया। नाटक लेखकों में गुरूण ने पादुका पट्टाभिषेक की पौराणिक कथाओं को अपने नाटकों का विषय बनाया। बैंकट रामैया को भी यही विषय था और उन्होंने मंदोदरी नाटक लिखा। समसा और मस्ती ने ‘सुगुना गंभीर‘ और ‘तलीकोटा‘ जैसे ऐतिहासिक नाटक लिखे। सामाजिक घटनाओं पर हुयीलगोल ने ‘शिक्षण संभ्रम‘ और आद्या ने ‘हरिजनवारा‘ नाटक लिखे। कैलाशम ने दुखांत, गोकाक ने मुखांत नाटक, और करंथ तथा मुगाली ने व्यग्य प्रधान नाटक लिखे। व्यंग्य प्रधान नाटकों में करंथ पा ‘गर्भगुडी‘ और मुगाली का ‘नामधारी‘ प्रसिद्ध हैं।
मुगली के ‘कन्नड़ साहित्य का इतिहास‘ (हिस्ट्री आफ कन्नड़ लिटरेचर) जैसी पुस्तकों ने साहित्य की आलोचनात्मक वृत्ति की उपयोगी बना दिया।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…