हिंदी माध्यम नोट्स
एक PNP या NPN ट्रांजिस्टर के लिए उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में अभिलाक्षणिकों का अध्ययन करना तथा वोल्टता लाभ एवं धारा लाभ का मान ज्ञात करना।
प्रयोग संख्या
Experiment No –
उद्देश्य (object) – एक PNP या NPN ट्रांजिस्टर के लिए उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में अभिलाक्षणिकों का अध्ययन करना तथा वोल्टता लाभ एवं धारा लाभ का मान ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus) – एक PNP/NPN ट्रांजिस्टर, दो बैटरी (एक 3 वोल्ट, एक 30 वोल्ट की) दो धारा नियत्रंक, दो वोल्टमीटर (परास 0 से 3 वोल्ट तथा 0 से 30 वोल्ट) एक माइक्रो अमीटर (परास 0 से 50 μ A.), एक मिलीअमीटर (परास 0 से 50 mA) दो कुंजी तथा संयोजक तार आदि।
परिपथ चित्र (Circuit Diagram) –
सिद्धान्त (Theory) – ट्रांजिस्टर के उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में आधार एवं उत्सर्जक टर्मिनलों को निवेशी रिपथ में तथा संग्राहक-उत्सर्जक टर्मिनलों को निर्गत परिपथ में संयोजित किया जाता है।
(A) निवेशी अभिलाक्षणिक वक्र – निर्गत संग्राहक-उत्सर्जक वोल्टता VCE के नियत मानों पर निवेशी आधार-उत्सर्जक वोल्टता VBE एवं निवेशी आधार धारा के मध्य खींचे गए वक्रों के समूह उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में टांजिस्टर के निवेशी अभिलाक्षणिक कहलाते हैं।
ट्रांजिस्टर का निवेशी प्रतिरोध Ri = ∆ VBE / ∆ IB , VCE = नियत …..(1)
(B) निर्गत अभिलाक्षणिक वक्र – निवेशी आधार धारा प्ठ के नियत मानों पर निर्गत संग्राहक उत्सर्जक वोल्टता VCE एवं निर्गत संग्राहक धारा प्ब् के मध्य खींचे गए वक्रों के समूह उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में जिस्टर के निर्गत अभिलाक्षणिक कहलाते हैं।
ट्रांजिस्टर का निर्गत प्रतिरोध RO = ∆ VCE / ∆ IC , IB = नियत …..(2)
अतः ट्रांजिस्टर के उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में
प्रतिरोध लाभ = RO / Ri …..(3)
धारा लाभ β= ∆ IC /∆ IB , VCE = नियत …..(4)
वोल्टता लाभ AV = धारा लाभ × प्रतिरोध लाभ = β× RO / Ri …..(5)
प्रयोग विधि (Method) –
1. सर्वप्रथम चित्र के अनुसार परिपथ संयोजित करते हैं (च्छच् ट्रांजिस्टर के लिए चित्र (a) तथा NPN ट्रांजिस्टर के लिए चित्र (b)) A संयोजन कसे हुए होने चाहिए।
2. अब वोल्टमीटर एवं अमीटरों के अल्पतमांक नोट कर लेते है तथा यदि इनमें शून्यांक त्रुटि है तो इसे अपने अध्यापक गण की सहायता से दूर कर लेते हैं।
3. अब दोनों (निवेशी एवं निर्गत) विभव विभाजकों को शून्य पर व्यवस्थित कर दोनों कुंजियों को बन्द (on) कर लेते हैं।
निवेशी अभिलाक्षणिक के लिए-
4. संग्राहक-उत्सर्जक वोल्टता VCE को नियत रखने हुए (जैसे 0 वोल्ट पर), आधार उत्सर्जक वोल्टता VBE के मान में धीरे-धीरे (0.1 – 0.1वोल्ट से) वृद्धि करते हुए, VBE तथा संगत आधार धारा IB के मान नोट करते हैं।
5. यही प्रक्रिया VCE के अन्य नियत मानों जैसे 5 वोल्ट, 10 वोल्ट के लिए दोहराते हैं तथा प्रेक्षणों को प्रेक्षण सारणी में नोट करते हैं।
निर्गत अभिलाक्षणिक के लिए-
6. अब दोनों विभव विभाजकों को एक बार पुनः शून्य स्थिति पर व्यवस्थित कर लेते हैं।
7. अब निवेशी आधार धारा को 10 μA पर नियत रखते हुए संग्राहक-उत्सर्जक वोल्टता VCE को बढ़ाते हुए (प्रारंभ में 0.1 – 0.1 वोल्ट से तथा 1 वोल्ट के बाद 5-5 वोल्ट के अन्तराल से) VCE तथा संगत संग्राहक धारा IC के मान नोट करते हैं।
8. अब आधार धारा के अन्य नियत मानों 20 μA, 30 μA पर उपरोक्त प्रक्रिया दोहराते हैं तथा प्रेक्षणों प्रेक्षण सारणी में नोट करते हैं।
प्रेक्षण (observations) –
(i) निवेशी वोल्टमीटर (VBE) का अल्पतमांक = …………. वोल्ट
(ii) निवेशी माइक्रो अमीटर (IB) का अल्पतमांक = …………. माइक्रो एम्पियर
(iii) निर्गत वोल्टमीटर (VCE) का अल्पतमांक = …………… वोल्ट
(iv) निर्गत मिली अमीटर ( IC) का अल्पतमांक = …………. मिली एम्पियर
(v) सारणी
(।) निवेशी अभिलाक्षणिक वक्र के लिए-
क्र.
स. VCE = वोल्ट VCE = वोल्ट VCE = वोल्ट
VCE (mV) IB (𝛍A) VCE (mV) IB (𝛍A) VCE (mV) IB (𝛍A)
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
(B) निर्गत अभिलाक्षणिक वक्र के लिए-
क्र.
स. IB =…..(𝛍A) IB =…..(𝛍A) IB =…..(𝛍A)
VCE (V) IC (mA) VCE (V) IC (mA) VCE (V) IC (mA)
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
गणना (Calculation) –
(i) आधार-उत्सर्जक वोल्टता VBE को X-अक्ष पर तथा आधार धारा IB को Y-अक्ष पर लेकर उचित पैमाना मानते हुए VCE के भिन्न-भिन्न नियत मानों के लिए एक ही ग्राफ पर VBE – IB वक्र खींचते हैं। ये निम्नानुसार प्राप्त होते हैं
(ii) अब हम VCE के किसी एक नियत मान वाले ग्राफ पर दो बिन्दु A तथा B लेकर इन से दोनों अक्षों पर लम्ब डालते हैं तथा ∆VBE एवं ∆IB क मान ज्ञात कर निवेशी प्रतिरोध Ri ज्ञात कर लेते है।
Ri = ∆VBE /∆IB ….ओम
(iii) अब हम संग्राहक उत्सर्जक वोल्टता ∆VCE को X-अक्ष पर तथा संग्राहक धारा IC को Y-अक्ष पर लेकर IB के भिन्न-भिन्न नियत मानों के लिए VCE – IC -ग्राफों का समूह खींचते हैं। ये निम्नानुसार प्राप्त होते हैं-
(iv) अब हम IB के किसी एक नियत मान के लिए प्राप्त ग्राफ पर दो बिन्दु A व B लेकर इनसे दोनों अक्षों परं लम्ब डालते हैं तथा ∆VCE व ∆IC के मान ज्ञात कर ट्रांजिस्टर का निर्गत प्रतिरोध ज्ञात करते हैं
निर्गत प्रतिरोध त्व = ∆VCE / ∆IC = ……… ओम
(v) अब प्रतिरोध लाभ = Ro / Ri …………(मात्रकहीन), द्वारा प्रतिरोध लाभ की गणना कर लेते हैं।
(vi) पुनः निर्गत अभिलाक्षणिक वक्रों में से IB के दो भिन्न-भिन्न मानों के लिए प्राप्त ग्राफों पर VCE के किसी एक मान के संगत दो बिन्दु C व D प्राप्त करते है तथा C व D से IC अक्ष पर लम्ब डालकर ∆IC एवं IB के जिन दो मानों के ग्राफों पर बिन्दु C व D है उनके अन्तर से ∆IB ज्ञात करते हैं तथा धारा लाभ की गणना करते है
धारा लाभ β = ∆IC / ∆IB =…………………..(मात्रकहीन)
(vii) अब हम वोल्टता लाभ AV = β × Ro / Ri की गणना कर लेते हैं।
परिणाम (Result) –
दिए गए ट्रांजिस्टर के उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में निवेशी एवं निर्गत अभिलाक्षणिक वक्र ग्राफ पर अंकित हैं तथा ट्रांजिस्टर के लिए उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में धारा लाभ β =… ………… एवं वोल्टता लाभ AV = …….. प्राप्त होते हैं।
सावधानियाँ (Precautions) –
1. संयोजन कसे हुए होने चाहिए
2. परिपथ में प्रवाहित वोल्टता, भंजन वोल्टता से कम होनी चाहिये। सामान्यतया मेनुअल में लिखी प्रचालन वोल्टता पर ही प्रचालित करना चाहिये।
3. बायस को अच्छी तरह चैक कर लेना चाहिये।
4. जब ट्रांजिस्टर का संयोजन करें तो आधार को सबसे पहले जोड़ें। संयोजन विच्छेद के समय आधार वोल्टता को सबसे पहले विच्छेदित करें।
मौखिक प्रश्न व उत्तर (Viva Voce)
प्रश्न 1. ट्रांजिस्टर किसे कहते हैं?
उत्तर- यह दो P-N संधियों युक्त अर्द्धचालक युक्ति है जिसके तीन भाग होते हैं (i) उत्सर्जक (ii) आधार (iii) संग्राहक
प्रश्न 2. ट्रांजिस्टर व निर्वात नलिका वाल्व (Tubes) में क्या अन्तर है?
उत्तर- ट्रांजिस्टर एक अर्द्धचालक युक्ति है जबकि निर्वात वाल्व नलिका तापायनिक उत्सर्जन पर आधारित युक्ति है।
प्रश्न 3. दोनों युक्तियों में कौन-सा श्रेष्ठ है और क्यों?
उत्तर- ट्रांजिस्टर, क्यों कि इसके प्राचलन लिए के कम शक्ति की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 4. NPN व PNP ट्रांजिस्टर में क्या अन्तर है?
उत्तर- NPN.ट्रांजिस्टर में दो N क्षेत्रों के मध्य एक पतला क्षेत्र P है जबकि PNP में दो P क्षेत्रों के मध्य एक पतला N क्षेत्र है। NPN में मुख्य धारा वाहक इलेक्ट्रॉन होते हैं जबकि PNP में मुख्य धारावाहक होल होते हैं।
प्रश्न 5. ट्रांजिस्टर में उत्सर्जक, आधार एवं संग्राहक के भौतिक एवं वैद्युत गुणों में क्या अन्तर है?
उत्तर- आधार, उत्सर्जक एवं संग्राहक के मध्य स्थित विपरीत प्रकार का पतला क्षेत्र होता है जिसमें अपमिश्रण भी कम रखा जाता है। उत्सर्जक का क्षेत्र बड़ा होता है तथा अपमिश्रण की मात्रा भी अधिक होती है जबकि संग्राहक का क्षेत्र बड़ा होता है परंतु इसमें अपमिश्रण की मात्रा कम होती है।
प्रश्न 6. ट्रांजिस्टर परिपथ में कौन-कौन सी धाराएँ बहती हैं?
उत्तर- आधार धारा (IB), उत्सर्जक धारा (IE), संग्राहक धारा (IC)।
प्रश्न 7. IE IB व IC में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर- IE = IB + IC
प्रश्न 8. ट्रांजिस्टर में आधार को बहुत पतला क्यों रखा जाता है?
उत्तर- यदि आधार क्षेत्र मोटा होगा तो कुछ वाहक इस क्षेत्र में पुनः संयोजित हो जायेंगे तथा इस कारण आधार में वृद्धि हो जायेगी जिससे प्रवर्धन गुणांक कम हो जायेगा।
प्रश्न 9. इसे ट्रांजिस्टर क्यों कहते हैं?
उत्तर- क्योंकि इसमें प्रतिरोध का संचरण होता है।
प्रश्न 10. ट्रांजिस्टर को किसी परिपथ में कितने प्रकार से अभिविन्यासित किया जा सकता है?
उत्तर – तीन प्रकार से- (i) उभयनिष्ठ आधार परिपथ
(ii) उभयनिष्ठ उत्सर्जक परिपथ,
(iii) उभयनिष्ठ संग्राहक परिपथ।
प्रश्न 11. क्या ट्रांजिस्टर में उत्सर्जक व संग्राहक का डोपिंग समान होता है?
उत्तर – नहीं, उत्सर्जक पर डोपिंग, संग्राहक की तुलना में अधिक होती है।
प्रश्न 12. ट्रांजिस्टर के प्रचालन में उत्सर्जक पर सदैव किस प्रकार की बायस होती है?
उत्तर- अग्र बायस।
प्रश्न 13. संग्राहक पर किस प्रकार की बायस होती है?
उत्तर- पश्च या उत्क्रम बायस।
प्रश्न 14. यदि संग्राहक पर अग्र बायस लगा दें तो क्या ट्रांजिस्टर का प्रचालन सम्भव है?
उत्तर- नहीं। यह ट्रांजिस्टर की संतृप्त अवस्था कहलाती है।
प्रश्न 15. ट्रांजिस्टर में आधार का क्या कार्य है?
उत्तर- आधार ट्रांजिस्टर में प्रवाहित धारा पर नियंत्रण रखता है।
प्रश्न 16. अभिलाक्षणिक वक्रों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- अभिलाक्षणिक वक्र किसी ट्रांजिस्टर की प्रचालन अवस्था को व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 17. अभिलाक्षणिक वक्र कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर- दो प्रकार के-(i) निवेशी अभिलाक्षणिक वक्र, (ii) निर्गत अभिलाक्षणिक वक्र।
प्रश्न 18. धारा लाभगुणांक α व β की परिभाषा बताओ?
उत्तर- α = (∆IC/ ∆= (∆IC स्थिर β = (∆IC / ∆IB) VCE स्थिर
प्रश्न 19. α का सामान्यतया कितना मान होता है?
उत्तर- α का मान सदैव 1 से कम होता है। यह मान 0.95 से 0.99 तक होता है।
प्रश्न 20. α का मान एक से कम होने पर भी यह प्रवर्धक के रूप में किस प्रकार कार्य करता है?
उत्तर- क्योंकि निवेशी प्रतिरोध की तुलना में निर्गत प्रतिरोध अधिक बहुत अधिक होता है। अतः निवेशी वोल्टता में सूक्ष्म परिवर्तन निर्गत वोल्टता में पर्याप्त परिवर्तन करता है। इसी कारण निवेशी शक्ति से निर्गत शक्ति अधिक होती है।
प्रश्न 21. दोनों धारा लाभों में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर- α = β / 1़ β या β = α /1-α
प्रश्न 22. आप प्रवर्धक के रूप में उभयनिष्ठ आधार परिपथ या उभयनिष्ठ उत्सर्जक परिपथ का उपयोग करोगे? क्यों?
उत्तर- उभयनिष्ठ उत्सर्जक परिपथ । क्योंकि इसका धारा लाभ गुणांक β बहुत अधिक होता है।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…