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एक P-N संधि डायोड के लिए अग्र अभिनति एवं पश्च अभिनति में I-V) अभिलाक्षाणिक वक्र खींचना।
प्रयोग संख्या
Experiment No –
उद्देश्य (object) –
एक P-N संधि डायोड के लिए अग्र अभिनति एवं पश्च अभिनति में I-V) अभिलाक्षाणिक वक्र खींचना।
उपकरण (Apparatus) –
एक च्.छ संधि डायोड, संचायक सेल, मिली अमीटर, माइक्रो अमीटर उपयुक्त परास के दो वोल्टमीटर, उपर्यक्त परास के धारा नियंत्रक, कुंजी तथा संयोजक तार आदि।
परिपथ चित्र (Circuit Diagram) –
सिद्धान्त (Theory) – P-N संधि डायोड में प्रवाहित धारा का मान उसके बायस वोल्टता पर निम्न समीकरण के अनुसार निर्भर करता है।
I = I0 ( eqv/kT -1)
जहाँ I0 = संतृप्त धारा, q = इलेक्ट्रॉन का आवेश, T = संधि का परम ताप, K = वोल्ट्जमान नियतांक तथा V = बायस वोल्टता
(प) अग्र बायस अवस्था में अ का मान धनात्मक होता है अतः मुअध्ज्ञज् ≫ 1 अतः
I = I0eqv/KT
अर्थात् डायोड में प्रवाहित धारा बायस वोल्टता के साथ चरघातांकी रूप से बढ़ता है।
(ii) उत्क्रम बायस अवस्था में अ का मान ऋणात्मक होता है अतः eqv/KT ≪ 1 अतः
I = -I0
अर्थात् डायोड में प्रवाहित धार! लगभग नियत रहती है।
(iii) डायोड के प्रतिरोध-डायोड एक अन-ओमीय युक्ति है अतः डायोड के लिए गतिक प्रतिरोध परिभाषित किये जाते हैं।
(A) अग्र गतिक प्रतिरोध Rdf = अग्रं वोल्टता में परिवर्तन / संगतअग्र धारा में परिवर्तन = ∆ Vf / ∆ fI
(B) पश्च गतिक प्रतिरोध Rdr = पश्च वोल्टता में परिवर्तन / संगत पश्च धारा में परिवर्तन = ∆ Vr / ∆ I r
प्रयोग विधि (Method) –
(A) अग्र बायस अभिलाक्षाणिक वक्र के लिए –
1. सर्वप्रथम हम डायोड को संचायक सेल के साथ दिए गए परिपथ चित्रानुसार अग्र बायस अवस्था में सयोजित करते हैं। डायोड का P-टर्मिनल, दिष्ट वोल्टता के धनाग्र से तथा N टर्मिनल ऋणाग्र से संयोजित करते हैं। ध्यान रहे संयोजन कसे हुए हों।
2. अब हम वोल्टमीटर एवं मिली अमीटर के अल्पतमांक नोट करते हैं तथा यदि इनमें शून्यांक त्रटिको अध्यापक गण की मदद से इसे दूर करते हैं।
3. अब हम धारानियंत्रक को पूर्णतः शून्य पर व्यवस्थित करके, कुंजी K की डॉट लगा देते हैं।
4. अब धारा नियंत्रक की सहायता से अग्र वोल्टता vf के मान धीरे-धीरे परिवर्तित करते हैं (0.1-0.1 वोल्त के अन्तराल से) तथा प्रत्येक अग्र वोल्टता के संगत मिली अमीटर से अग्र धारा का मापन कर लेते हैं तथा प्रेक्षणों को प्रेक्षण सारणी में नोट कर लेते हैं। ध्यान रहे डायोड में प्रवाहित धारा, डायोड के लिए निर्धारित अधिकतम मान से कम रहे।
(B) पश्च बायस अभिलाक्षाणिक वक्र के लिए –
1. अब P-N संधि डायोड के P-टर्मिनल को संचायक सेल के ऋणाग्र से N-टर्मिनल को धनाग्र से तथा मिली अमीटर के स्थान पर माइक्रो अमीटर संयोजित कर डायोड को उत्क्रम अभिनत कर लेते हैं।
2. अब हम माइक्रो अमीटर का अल्पतमांक नोट कर लेते हैं तथा यदि इसमें शून्यांक त्रुटि है तो इसे दूर कर लेते है।
. 3. अब धारा नियंत्रक को पूर्णतः शून्य पर व्यवस्थित करके कुंजी K की डॉट लगा देते हैं।
4. अब धारा नियंत्रक की सहायता से धीरे-धीरे पश्च वोल्टता टत का मान परिवर्तित करते हुए प्रत्येक उत्क्रम वोल्टता के संगत उत्क्रम धारा Ir का मान माइक्रो अमीटर से नोट कर लेते है तथा प्रेक्षणों को सारणी में नोट कर लेते हैं। ध्यान रहे आरोपित उत्क्रम विभव का मान डायोड के भंजन विभव से कम रहना चाहिए।
प्रेक्षण (observations) –
(A) अग्र बायस के लिए-
वोल्टमीटर का अल्पतमांक = ……….. वोल्ट
मिली अमीटर का अल्पतमांक = ……… मिली एम्पियर
(B) पश्च बायस के लिए-
वोल्टमीटर का अल्पतमांक = …………. वोल्ट
माइक्रो अमीटर का अल्पतमांक = …………. माइक्रो एम्पियर
(C) सारणी
अग्रदिशिक बायस उत्क्रम बायस
क्र.
स. वोल्टमीटर का पाठ्यांक मिली अमीटर का पाठ्यांक क्र.
स. वोल्टमीटर का पाठ्यांक माइक्रो अमीटर का पाठ्यांक
खानों
की
संख्या
n1 अग्र वोल्टता
Vf = n1
× अल्पतमांक
(वोल्ट)
खानों
की
संख्या
n2 अग्र धारा
fI = n2
× अल्पतमांक
(मिली एम्पियर)
खानों
की
संख्या
n3 पश्च वोल्टता
Vr = n3
× अल्पतमांक
(वोल्ट)
खानों
की
संख्या
n4 पश्च धारा
Ir=n4
× अल्पतमांक
(माइक्रो एम्पियर)
1. 1.
2. 2.
3. 3.
4. 4.
5. 5.
गणना (Calculation)-
1. सर्वप्रथम हम अग्र बायस के लिए उचित पैमाना लेकर अग्र वोल्टता को धनात्मक X -अक्ष पर तथा अग्र धारा को धनात्मक Y अक्ष पर अंकित कर डायोड के अग्रदिशिक बायस के लिए प्राप्त प्रेक्षणों से अग्र बायस अभिलाक्षणिक वक्र खींचते हैं।
2. अब हम उत्क्रम बायस के लिए उचित पैमाना लेकर पश्च वोल्टता को ऋणात्मक ग्-अक्ष पर तथा उत्क्रम बारा ऋणात्मक Y-अक्ष पर अंकित कर डायोड के उत्क्रम बायस के लिए प्राप्त प्रेक्षणों से उत्क्रम बायस अभिलाक्षणिक वक्र खींचते हैं।
ये वक्र चित्रानुसार प्राप्त होते हैं
3. अब हम प्रत्येक वक्र पर दो बिन्दु A तथा B लेकर इन बिन्दुओं से चित्रानुसार दोनों अक्षों पर लम्ब डालकर विभव परिवर्तन तथा संगत धारा परिवर्तन के मान ज्ञात कर लेते हैं तथा निम्न सूत्रों से डायोड के प्रतिरोध ज्ञात कर लेते हैं।
बिन्दु A व B के मध्य डायोड का
(a) अग्र गतिक प्रतिरोध Rdf = ∆ Vf / ∆ fI = ……. ओम
(b) उत्क्रम गतिक प्रतिरोध Rdr = ∆ Vr / ∆ I r = ……. ओम
परिणाम (Result) – दिए गए P-N संधि डायोड के लिए अग्रबायस एवं उत्क्रम बायस अभिलाक्षणिक वक्र ग्राफ पेपर पर अंकित है तथा डायोड के लिए प्रतिरोध के मान निम्नानुसार प्राप्त होते है-
अग्र गतिक प्रतिरोध Rdf = ……… ओम तथा उत्क्रम गतिक प्रतिरोध Rdr = …… ओम
सावधानियाँ (Precautions) –
(i) प्रत्येक संयोजन को पर्याप्त दृढ़ (Tight Enough) होना चाहिए।
(ii) अग्र अभिनति में डायोड के P सिरे को बैटरी के धन ध्रुव से तथा N सिरे को ऋण ध्रुव से जोड़ना चाहिए। इसी तरह उत्क्रम अभिनति में डायोड के P सिरे को बैटरी के ऋण ध्रुव से तथा N सिरे को धन ध्रुव से जोड़ना चाहिए।
(iii) वोल्टमीटर और अमीटर को विद्युत् परिपथ में जोड़ते समय ध्यान रखना चाहिए कि उनके (़़) सिरे बैटरी के धन ध्रुव की ओर हों।
(iv) जब प्रेक्षण लेना हो तभी थोड़ी देर के लिए डायोड पर विभवान्तर लगाया जाना चाहिए।
(v) डायोड .के सिरों पर लगाया गया विभवान्तर उसकी सुरक्षा सीमा के अन्दर होना चाहिए, अन्यथा डायोड खराब हो सकता है।
(vi) अग्र अभिनति में मिली-अमीटर और उत्क्रम अभिनति में माइक्रो-अमीटर प्रयुक्त करना चाहिए।
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