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Categories: physicsPhysics

एक मोमबत्ती एवं एक पर्दे का उपयोग कर उत्तल लेंस द्वारा बने, मोमबत्ता क प्रतिबिम्ब की प्रकृति तथा आकार का अध्ययन करना

क्रियाकलाप- 7 (i)
[Activity 7(i)]
उद्देश्य (Object) – एक मोमबत्ती एवं एक पर्दे का उपयोग कर उत्तल लेंस द्वारा बने, मोमबत्ता क प्रतिबिम्ब की प्रकृति तथा आकार का अध्ययन करना जबकि मोमबत्ती उत्तल लेंस से भिन्न-भिन्न दूरियों पर स्थित हो।
उपकरण (Apparatus) – एक उत्तल लेंस, एक प्रकाशीय बेंच जिसमें तीन ऊर्ध्व स्टेण्ड लगे हो, मोमबत्ती, कोई बोर्ड का पर्दा आदि।
किरण चित्र (Ray Diagram)-
सिद्धान्त (Theory) – किसी लेंस के लिए यदि बिम्ब दूरी न , फोकस दूरी f तथा प्रतिबिम्ब दूरी v है तब
1/u-1/u = 1/f ….(1)
अतः जब उत्तल लेंस के लिए
(i) u = ∞ (अनन्त) तब v  = f (प्रतिबिम्ब फोकस पर बनता है)
(ii) u = 2 f  तब v = 2f  (प्रतिबिम्ब 25 स्थिति पर बनता है)
(iii) u = -f तब v = ∞ (प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है)
(iv) u < (- f) तब v = ऋणात्मक मान (आभासी प्रतिबिम्ब)
अतः उत्तल लेंस के लिए जैसे-जैसे वस्तु को अनन्त दूरी से लेंस की ओर खिसकाया जाता है वस्तु का प्रतिबिम्ब फोकस से अनन्त की ओर खिसकता है तथा जब वस्तु की दूरी लेंस की फोकस दूरी से कम हो जाती है तब प्रतिबिम्ब आभासी प्राप्त होता है जो कि पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।
प्रयोग विधि (Method) –
सर्वप्रथम उत्तल लेंस से सूर्य की किरणों को फोकसित कर लेंस की लगभग फोकस दूरी ज्ञात कर लेते हैं।
अब प्रकाशीय बेंच के एक स्टैण्ड पर लेंस लगाकर इसे बेंच के ठीक मध्य में व्यवस्थित कर स्थिर कर देते हैं तथा लेंस
के एक ओर के स्टैण्ड पर कार्ड बोर्ड का पर्दा जो कि लेंस से उसकी लगभग फोकस दूरी पर स्थित हो, लगाते हैं तथा दूसरी ओर के स्टैण्ड पर जलती हुई मोमबत्ती लगाते हैं। जलती हुई मोमबत्ती को प्रकाशीय बेंच के किनारे पर व्यवस्थित करते हैं।
अब मोमबत्ती, लेंस एवं पर्दे की ऊंचाई इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि पर्दे पर मोमबत्ती की जलती हुई लौ का उल्टा
प्रतिबिम्ब दिखाई देने लगे
अब पर्दे को धीरे-धीरे आगे-पीछे इतना खिसकाते हैं कि मोमबत्ती का प्रतिबिम्ब स्पष्ट हो जाये, इस स्थिति में लेंस से पर्दे
की दूरी, लेंस की फोकस दूरी के निकट है। प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा एवं सूक्ष्म होता है।
अब यदि मोमबत्ती को लेंस की ओर खिसकाया जाता है तो पर्दे पर इसका प्रतिबिम्ब करने के लिए पर्दे को लेंस से दूर
की ओर खिसकाना पड़ता है। जब मोमबत्ती लेंस से ठीक 2f दूरी पर होती है को लेंस से ठीक 2f दूरी पर रखने पर ही पर्दे पर मोमबत्ती का प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है। प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा एवं मोमबत्ती के समान आकार का प्राप्त होता है।
6. इसी प्रकार मोमबत्ती को लेंस की ओर, और अधिक खिसकाने पर, पर्दे को लेंस से और अधिक दूर करना जडता है जब मोमबत्ती, लेंस से ठीक फोकस दूरी पर स्थित होती है तो अब पर्दे पर मोमबत्ती का प्रतिबिम्ब प्राप्त नहीं होता चाहे इसे प्रकाशीय बेंच के अन्तिम छोर तक ही क्यों न खिसका दिया गया है। क्योंकि यह अनन्त पर बनता है वद वास्तविक, उल्टा एवं अत्यधिक बड़ा होता है।
प्रेक्षण (observations) –
क्र.
सं. वस्तु की स्थिति प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकृति व आकार
स्थिति प्रकृति आकार
1. बहुत दूर f पर वास्तविक, उल्टा अत्यन्त छोटा
2. 2f से परे f व 2f के बीच वास्तविक, उल्टा छोटा
3. 2f पर 2f पर वास्तविक, उल्टा बराबर
4.f व 2f के बीच 2f से परे उल्टा वास्तविक बड़ा
5. f से थोड़ा परे बहुत दूर वास्तविक, उल्टा बहुत बड़ा

निष्कर्ष (Conclusion) – स्पष्टतः उत्तल लेंस से प्राप्त प्रतिबिम्ब की प्रकृति एवं आकार, वस्तु की लेंस से दूरी पर निर्भर करते हैं।
मौखिक प्रश्न (Viva-Voce)
प्रयोग संख्या 2 (Section B) से देखें।
क्रियाकलाप- 7 (ii)
[Activity 7 (ii)]
उद्देश्य (object) – एक मोमबत्ती एवं एक पर्दे का उपयोग कर मोमबत्ती की भिन्न-भिन्न दूरियों के लिए अवतल दर्पण से पर्दे पर बने प्रतिबिम्ब की प्रकति एवं आकार का अध्ययन करना।
उपकरण (Apparatus) – तीन ऊर्ध्व स्टैण्डों सहित प्रकाशीय बेंच, एक अवतल दर्पण, एक मोमबत्ती, कार्ड बोर्ड का पर्दा आदि।
किरण चित्र (Ray Diagram)-
सिद्धान्त (Theory) – यदि एक गोलीय दर्पण से वस्तु की दूरी न प्रतिविम्ब दूरी v तथा फोकस दूरी f है तो दर्पण के लिए
1/v + 1/u = 1/f ………;1)
अतः अवतल दर्पण के लिए जब
(i) u = ∞ (अनन्त) तब v = – f
(ii) u = – 2f  तब v = 2f
(iii) u = -f तब v = ∞ .
(iv) u < (- f) तब v = धनात्मक मान (प्रतिविम्ब आभासी प्राप्त होता है)
स्पष्टतः जब एक वस्तु को अनन्त से अवतल दर्पण की ओर खिसकाया जाता है तब वस्तु का प्रतिबिम्ब फोकस से अनन्त की
ओर गति करता है तथा जब वस्तु को फोकस दूरी से कम दूरी पर रखा जाता है तो इसका प्रतिबिम्ब आभासी प्राप्त होता है जिसे पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।
प्रयोग विधि –
सर्वप्रथम हम सूर्य की किरणों को फोकसित कर अवतल दर्पण की लगभग फोकस दूरी ज्ञात कर लेते हैं।
अब हम प्रकाशीय बेंच के पहले स्टैण्ड पर अवतल दर्पण, दूसरे स्टैण्ड पर कार्ड बोर्ड का पर्दा तथा तीसरे स्टैण्ड पर
जलती हुई मोमबत्ती लगाते हैं।
अब अवतल दर्पण को प्रकाशीय बेंच के एक छोर पर रखते हैं तथा इसकी परावर्तक सतह को अन्दर की ओर रखते हैं।
पर्दे को दर्पण से उसकी लगभग फोकस दूरी पर तथा जलती हुई मोमबत्ती को प्रकाशीय बेंच के दूसरे छोर पर रखते हैं।
4. अब मोमबत्ती एवं पर्दे की ऊंचाईयों को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि पर्दे पर मोमबत्ती की लौ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखाई देने लगे। पर्दे को थोड़ा आगे-पीछे खिसकाकर मोमबत्ती के लौ के प्रतिबिम्ब को स्पष्ट कर लेते हैं। इस स्थिति में पर्दे की दर्पण से दूरी फोकस दूरी के निकट है। यह प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा तथा सूक्ष्म होता है।
5. अब यदि मोमबत्ती को दर्पण की ओर खिसकाया जाता है तो पर्दे को दर्पण से दूर खिसकाना पड़ता है ताकि पर्दे पर मोमबत्ती का प्रतिबिम्ब प्राप्त हो सके।
6. जब मोमबत्ती दर्पण से ठीक 2f दूरी पर होती है तब पर्दे को भी दर्पण से 2f  दूरी पर रखना पड़ता है ताकि पर्दे पर मोमबत्ती का स्पष्ट प्रतिबिम्ब प्राप्त हो सके। यह प्रतिबिम्ब, वास्तविक उल्टा तथा मोमबत्ती के समान आकार का प्राप्त होता है।
7. अब यदि मोमबत्ती को दर्पण के और निकट लाया जाये तो पर्दे को दर्पण से और दूर ले जाना होगा (दर्पण के सापेक्ष अब दूसरे स्थान पर मोमबत्ती तथा तीसरे स्थान पर पर्दा होगा) ताकि पर्दे पर मोमबत्ती का स्पष्ट प्रतिबिम्ब प्राप्त हो सके। प्रतिबिम्ब उल्टा, वास्तविक तथा मोमबत्ती के आकार से बड़ा होगा।
8. जब मोमबत्ती, दर्पण.से ठीक फोकस दूरी पर स्थित हो तो पर्दे पर, मोमबत्ती का प्रतिबिम्ब प्राप्त नहीं होता चाहे पर्दे को प्रकाशीय बेंच के अन्तिम छोर तक ही क्यों न खिसका दें क्योंकि यह प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है तथा उल्टा, वास्तविक एवं अत्यधिक बड़ा होता है।

प्रेक्षण (observations) –
क्र.
सं. वस्तु की स्थिति प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकृति व आकार
स्थिति प्रकृति आकार
1. बहुत दूर लगभग थ् पर वास्तविक, उल्टा बहुत छोटा
2. वक्रता केन्द्र C से परे F व C के बीच वास्तविक, उल्टा छोटा
3. वक्रता केन्द्र C पर C पर वास्तविक, उल्टा समान आकार का
4.f व C के बीच वक्रता केन्द्र C से परे वास्तविक, उल्टा बड़ा
5. F के निकट बहुत दूर, एवं पर्दे पर प्राप्त नहीं होता वास्तविक, उल्टा बहुत बड़ा
निष्कर्ष (Conclusion) – स्पष्टतः अवतल दर्पण से पर्दे पर प्राप्त प्रतिबिम्ब की प्रकृति एवं आकार, दर्पण से वस्तु की दूरी पर निर्भर करते हैं।

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