find the focal length of a convex mirror using a convex lens in hindi उत्तल लेंस का उपयोग करके उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करना ?
प्रयोग संख्या
Experiment No.
उददेश्य (Object):
उत्तल लैंस का उपयोग करके उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus):
प्रकाशीय बेंच, उत्तल दर्पण, उत्तल लेंस, दो पिनें, एक दर्पण, एक दर्पण स्टैण्ड, एक लेंस स्टैण्ड, दो पिन स्टैण्ड, स्पिरिट लेवल आदि।
किरण चित्र (Ray Diagram):
सिद्धान्त (Theory): यदि एक वस्तु O उत्तल लेंस के प्रथम फोकस से कुछ दूर रखी हो तो लेंस द्वारा वस्तु का वास्तविक एवं उल्टा प्रतिबिम्ब I प्राप्त होता है। अब यदि लेंस तथा प्रतिबिम्ब I के मध्य उत्तल दर्पण रखकर, दर्पण की स्थिति इस प्रकार समायोजित की जाए कि उत्तल लेंस तथा उत्तल दर्पण द्वारा वस्तु का प्रतिबिम्ब प्श् वस्तु O पर ही बने। यह तभी संभव है जब उत्तल लेंस से अपवर्तित किरणें दर्पण पर अभिलम्बवत् आपतित हों तथा इसके वक्रता केन्द्र की ओर दिष्ट हों ताकि दर्पण से परावर्तन के पश्चात् अपने ही मार्ग पर लौटें अतः इस प्रकार का समायोजन प्राप्त करने पर केवल लेन्स द्वारा प्राप्त प्रतिबिम्ब स्थिति I , दर्पण का वक्रता केन्द्र होगी।
अतः दर्पण की वक्रता त्रिज्या R = PI
तथा फोकस दूरी f = R/2= PI/2
प्रयोग विधि (Method):
1. सर्वप्रथम उत्तल लैंस से सूर्य को किरणों को संकलित कर, लेंस की लगभग फोकस दूरी ज्ञात कर लेते हैं।
2. अब प्रकाशीय बेंच को स्प्रिट लेवल एवं क्षैतिजका री पेंचो से पूर्णतः क्षैतिज कर इस पर एक स्टैण्ड पर वस्त पिन O, दूसरे पर उत्तल लेंस तथा तीसरे पर प्रतिबिम्ब पिन व्यवस्थित कर लेते हैं, पिनों की नोकों तथा लेंस के मध्य बिन्दु को एक ही ऊँचाई पर रखते हैं जिससे पिन की नोकों तथालेस के प्रकाश केंद्र को मिलाने वाली रेखा बैंच की लम्बाई के समान्तर हों।
3. अब वस्तु पिन को बैंच के एक सिरे पर खिसकाकर इसे स्थिर कर देते हैं, तथा इससे लेंस को, उसकी फोकस दूरी (लगभग 1.5 f1 ) पर रखते हैं। अब लेंस को धीरे-धीरे आगे पीछे खिसकाकर इस प्रकार व्यवस्थित करते है कि दसरी ओर से देखने पर वस्तु का उल्टा प्रतिबिम्ब I दिखने लगे, इस स्थित मे प्रतिबिम्ब पिन को आगे पीछे खिसकाकर ऐसी स्थिति में लाते हैं कि प्रतिबिम्ब तथा प्रतिबिम्ब पिन एक स्थान पर आ जायें इनकी नों परस्पर मिल जाये तथा इनके मध्य कोई लम्बन न रहे।
4. अब वस्तु पिन, प्रतिबिम्ब पिन एवं लेंस को स्थिर रखते हुए लेंस तथा प्रतिबिम्ब पिन के मध्य एक अन्य स्टैण्ड पर उत्तल दर्पण इस प्रकार लगाते हैं कि उत्तल लेंस तथा उत्तल दर्पण की मुख्य अक्ष एक ही रेखा हो (दर्पण का मष्ट य बिन्दु, लेंस के प्रकाश केन्द्र की ऊँचाई पर ही होना चाहिए।
5. अब केवल उत्तल दर्पण को आगे पीछे खिसकाकर इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि वस्तु की ओर से देखने पर वस्तु का प्रतिबिम्ब I” ठीक वस्तु. O पर प्राप्त हो तथा वस्त एवं प्रतिबिम्ब I’ के मध्य कोई लम्बन न रहे। इस स्थिति में दर्पण से प्रतिबिम्ब पिन की दूरी I’
प्रयोग संख्या 1
Experiment No . 1
उद्देश्य (Object):
अवतल दर्पण के लिए के विभिन्न मानों के लिए अ के मान ज्ञात करना तथा उसकी फोकस दूरी ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus):
प्रकाशीय बेंच, अवतल दर्पण, दो पिन, एक दर्पण, एक दर्पण स्टैण्ड, दो पिन स्टैण्ड, स्पिरिट लेवल आदि।
किरण चित्र (Ray Diagram):
सिद्धान्त (Theory):
यदि कोई वस्तु अवतल दर्पण के सामने u u दूरी पर रखी जाये और उसका प्रतिबिम्ब दर्पण से v दूरी पर बने तब अवतल दर्पण की फोकस दूरी, दर्पण सूत्र से अवतल दर्पण के लिए न एवं अ दोनों ऋणात्मक होती है।
1f/ = 1/-v ़ 1/-u
⇒ 1f/ = ;uv) / uv
या फोकस दूरी 1f/ = -uv /uv
अतः अवतल दर्पण की फोकस दूरी भी ऋणात्मक प्राप्त होती है जो कि चिन्ह परिपाटी के अनुकूल ही है।
प्रयोग विधि (Method):
(प) सर्वप्रथम प्रकाशीय बेंच की भुजा को स्पिरिट तलदर्शी की सहायता से क्षैतिज के समान्तर करते हैं। इसके लिए प्रकाशीय बेंच के एक सिरे के पास उसकी भुजाओं के लम्बवत् स्पिरिट तलदर्शी को रखते हैं तथा नीचे लगे दोनों समतलकारी पेंचों को इतना घुमाते हैं कि वायु का बुलबुला मध्य में आ जाये। फिर स्पिरिट तलदर्शी को दसरे सिरेही पास भुजाओं के लम्बवत रखते हैं तथा नीचे लगे समतलकारी पंचों को इतना घुमाते हैं कि वायु का बुलबुला मध्य में जा जाये। इस प्रकार प्रकाशीय बेंच की भुजाएं क्षैतिज के समान्तर आ जाती हैं।
(पप) अब इसके एक सिरे के पास दर्षण स्टैण्ड में दिये गये दर्पण को इस प्रकार स्टैण्ड में दिये गये दर्पण को इस प्रकार लगाते हैं कि उसका अक्ष प्रकाशीय बेंच की लम्बाई के समान्तर तथा क्षैतिज रहे।
(पपपप) तत्पश्चात उसके सामने दो अलग-अलग पदों पर विस्त पिन AB तथा प्रतिबिम्ब पिन ब्क् लगाते हैं तो । का इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि उनकी नोके दर्पण के मुख्य अक्ष पर रहे।
(पअ) .अब वस्तु पिन AB का दर्पण में प्रतिबिम्ब देखते हैं। यदि सीधा प्रतिबिम्ब दिखाई दे तो पिन AB को तो से इतना दूर हटाते हैं कि उसका उल्टा प्रतिबिम्ब A’B’ दिखाई देने लगे।
(अ) इसके बाद प्रतिबिम्ब पिन ब्क् को इतना ऊपर-नीचे करते हैं कि प्रतिबिम्ब A’B’ और CD की ही एक-दूसरे को स्पर्श करने लगें।
;आवश्यकता पड़ने पर स्लो-मोशन स्क्र की सहायता से पिन AB , CD या दर्पण MN या तीनों को प्रकाशी बेंच की लम्बाई के लम्बवत् सरकाते हैं।)
(अप) अब प्रतिबिम्ब पिन CD को प्रकाशीय बेंच की लम्बाई के समान्तर आगे-पीछे इतना चलाते हैं कि वस्तु पिन AB के प्रतिबिम्ब ।श्ठश् और प्रतिबिम्ब पिन ब्क् में कोई लंबन न रहे।
इस स्थिति में अवतल दर्पण की स्थिति. वस्त पिन की स्थिति एवं प्रतिबिम्ब पिन की स्थिति को नोट करते है।
(अपप) तत्पश्चात् प्रयोग को कई बार दुहराते हैं। इसके लिए प्रत्येक बार वस्तु पिन AB को दर्पण से थोडा दूर (लगभग 2.5 सेमी.) खिसकाते हैं तथा प्रतिबिम्ब A’B’ और प्रतिबिम्ब पिन CD के बीच लंबन दूर कर उनकी स्थिति नोट करते हैं।
प्रेक्षण सारणी (Observation Table):
क्रम संख्या अवतल दर्पण
की स्थिति ं
(सेमी.) वस्तु पिन की स्थिति इ
(सेमी.) प्रतिबिम्ब पिन
की स्थिति ब
(सेमी.) a = b-a
(सेमी.) v =c-a
(सेमी.) v = -uv/uv
(सेमी.)
1.
2.
3.
4.
5. f1 =
f2 =
f3 =
f4 =
f5 =
गणना (Calculation):
(प) प्रत्येक प्रेक्षण सेट से सूत्र f= -uv/uv में u तथा v के मान रखकर अवतल दर्पण की फोकस दूरी की गणना कर लेते हैं।
(पप) अब फोकस दूरी के प्राप्त मानों का माध्य लेकर माध्य फोकस दूरी ज्ञात कर लेते हैं।
माध्य फोकस दूरी f = f1़f 2 ़f 3 ़f 4 ़f 5/ 5
परिणाम (Result): दिए गए अवतल दर्पण की फोकस दूरी f= ….. सेमी. प्राप्त हुई।
सावधानियां (Precautions):
(प) दर्पण के मुख्य अक्ष को प्रकाशीय बेंच की लम्बाई के समान्तर होना चाहिए। दृ
(पप) वस्तु पिन और प्रतिबिम्ब पिन की नोकों को दर्पण के ध्रुव की सीध में अर्थात् मुख्य-अक्ष पर रहना चाहिए।
(पपप) लम्बन दूर करते समय वस्तु पिन के उल्टा. बने प्रतिबिम्ब की नोंक और प्रतिबिम्ब पिन की नोंक के। एक-दूसरे को स्पर्श करना चाहिए।
(पअ) वस्तु पिन और प्रतिबिम्ब पिन में अंतर स्पष्ट करने के लिए वस्तु पिन की नोक पर चॉक से निशान बना लेना चाहिए।
(अ) लंबन दूर करते समय आंख को प्रतिविम्ब पिन से 25-30 सेमी. दूर रखना चाहिए।
मौखिक प्रश्न व उत्तर:
प्रयोग संख्या 2 के पश्चात देखें।