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इब्नबतूता किस देश से भारत में आया था , इब्बनबतूता कौन थे इब्नबतूता द्वारा लिखी गई पुस्तकें कहाँ से आया था
जाने ibn battuta was a traveller from in hindi इब्नबतूता किस देश से भारत में आया था , इब्बनबतूता कौन थे इब्नबतूता द्वारा लिखी गई पुस्तकें कहाँ से आया था ?
प्रश्न : इब्बनबतूता के बारे में जानकारी दीजिये ?
उत्तर: यह मोरक्को निवासी था। मोहम्मद तुगलक के समय 1333 ई. में दिल्ली आया। दिल्ली में काजी नियुक्त किया गया तथा अरबी भाषा में ‘रेहला‘ नामक ग्रंथ लिखा। इसमें तुगलक की योजनाओं एवं 14वीं शताब्दी के भारत की सामाजिक एवं आर्थिक दशाओं का उल्लेख है।
प्रश्न: अलबरूनी
उत्तर: यह ख्वारिज्म (खींवा) का था। सन् 1018 ई. में महमूद गजनवी के साथ भारत आया। पूर्वमध्यकालीन भारत के संदर्भ मे इसने एक ग्रंथ लिखा जिसे तारीख-उल-हिन्द/तहकीकात-उल-हिन्द/किताब-उल-हिन्द कहा जाता है।
प्रश्न: अमीर खुसरो
उत्तर: सल्तनत काल में बलबन, मुहम्मद बिन तुगलक तथा अलाउद्दीन खिलजी सहित आठ सुल्तानों के राजदरबार में अरबी, फारसी, हिन्दी आदि भाषाओं के महान विद्वान, इतिहासकार, संगीतकार जो उर्दू कविता के ‘जनक‘ माने जाते हैं।
प्रश्न: तजकिरा
उत्तर: मध्यकाल में युद्ध के दौरान मुस्लिम सैनिकों के उत्साह को बढ़ाने के लिए मुस्लिम योद्धाओं की कहानी सुनाई जाती थी। जिसे तजकिरा कहा जाता था।
प्रश्न: अबुल-फजल बैहाकी
उत्तर: तारीख-ए-बैहाकी के लेखक अबुल-फजल बैहाकी ने गजनी शासकों का इतिहास लिखा है।
प्रश्न: चचनामा
उत्तर: अरबी भाषा में चचनामा का गुमनाम लेखक था। यह सिंध पर अरब आक्रमण तथा सिंध के शासक वंश का संक्षिप्त ब्यौरा देता है। इसका फारसी में अनुवाद मोहम्मद अली बिन अबुवक्र कुफी ने किया।
प्रश्न: उत्बी
उत्तर: तारीख-ए-यामिनी-किताब-उल-यामिनी के लेखक उत्बी ने अपने ग्रंथ में महमूद गजनवी के चरित्र एवं सैन्य अभियान का 1020 ई. तक का वर्णन किया है।
प्रश्न: हसन निजामी
उत्तर: ताज-उल-मासिर का लेखक हसन निजामी सल्तनत काल का पहला इतिहासकार था जिसने तराईन के युद्ध से लेकर 1217 ई. तक की घटनाओं का वर्णन किया है। यह प्रथम ऐतिहासिक ब्यौरा है जो भारत में मुस्लिम शासन के प्रारम्भ का वर्णन करता है।
प्रश्न: दिल्ली में काजी के पद पर आसीन होने वाले इतिहासकार कौन थे ?
उत्तर: दिल्ली सल्तनत में काजी के पद पर आसीन होने वाले इतिहासकार इब्बनबतूता व मिन्हाज-उस-सिराज थे जिन्हें क्रमशः सुल्तान इल्तुतमिश तथा मुहम्मद बिन तुगलक ने अपना काजी नियुक्त किया था।
प्रश्न: फिरोज तुगलक का एक लेखक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर: फिरोज तुगलक दिल्ली सल्तनत का एकमात्र सुल्तान था जिसने फारसी में अपनी आत्मकथा लिखी। इसने अपनी आत्मकथा फुतुहात-ए-फिरोजशाही में सैन्य अभियानों एवं अपनी धार्मिक नीति का संक्षिप्त विवरण दिया है।
प्रश्न: शम्स-ए-सिराज-अफीफ
उत्तर: यह फिरोज तुगलक का समकालीन फारसी इतिहासकार था। इसने तारीख-ए-फिरोजशाही की रचना की जिसमें फिरोज तुगलक के शासन एवं सामान्य जनजीवन का वर्णन है।
प्रश्न: याहिया-बिन-अहमद-सरहिन्दी
उत्तर: इन्होंने सैयद सुल्तान मुबारकशाह के समय तारीख ए-मुबारकशाही की रचना की। इसमें उत्तर तुगलक कालीन एवं सैयद वंश का इतिहास लिखा है।
प्रश्न: मिन्हाज-उस-सिराज
उत्तर: यह सुल्तान नासिरूद्दीन महमूद के समय दिल्ली का काजी नियुक्त किया गया व उसी के काल में तबकात-ए-नासिरी की रचना की तथा उसे ही समर्पित की। इसमें: 260 ई. तक का इतिहास है। जिसमें समकालीन प्रमुख अमीरों, उलमा एवं कवियों की जीवनी लिखी हुई है।
प्रश्न: मलिक-इसामी
उत्तर: यह मोहम्मद तुगलक का समकालीन था। इसने फतह-उस-सलातीन ग्रंथ की रचना की। दौलताबाद राजधानी ले जाते समय मोहम्मद तुगलक इसे दक्षिण छोड़ आया। बहमनी राज्य के संस्थापक अलाउद्दीन बहमनशाह के दरबार में रहकर इसने ऐबक से मुहम्मद तुगलक तक का इतिहास लिखा। इसने मोहम्मद बिन तुगलक को ‘इस्लाम जगत का सबसे बुद्धिमान मूर्ख‘ कहा है।
प्रश्न: मराठी साहित्य
उत्तर: सन्त ज्ञानेश्वर ने गीता पर प्राकृत मराठी में टीकायें लिखी जिन्हें ‘ज्ञानेश्वरी‘ कहा गया। सन्त एकनाथ ने भागवत का मराठी अनुवाद किया तथा ‘रूक्मणी स्वयंवर‘ और ‘भावार्थ रामायण‘ नामक पुस्तकें लिखी। मराठी साहित्य में सबसे श्रेष्ठ स्थान सन्त तुकाराम के ‘अभंगों‘ का है।
प्रश्न: सल्तनत कालीन संस्कृत साहित्य
उत्तर: इस समय संस्कृत उच्च हिन्दू वर्ग की भाषा थी। इस युग में मौलिक रचनाओं का सृजन न होकर अधिकांश पस्तकें ग्रन्थों पर टीका के रूप में लिखी गई। रामानुज ने ब्रह्म सूत्र पर टीका लिखी। 1300 ई. के आस-पास पार्थ सारथी ने कर्म मीमांसा पर कई ग्रन्थ लिखे। जिनमें ‘शास्त्र दीपिका‘ सर्वाधिक प्रसिद्ध हुआ।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न: प्रमुख संस्कृत ग्रंथ एवं उनके लेखक
पुस्तक लेखक
प्रतापरूद्र देव यशो भूषण, कृष्ण चरित्र अगस्त्य
रूक्मणी कल्याण विद्याचक्रवती तृतीय
कर्नासुर विजय माधव
दुर्गाभक्ति तरंगिनी विद्यापति
शंकर विजय विद्यारण्य
हम्मीर काव्य नयनचन्द्र सूरि
नारायण विलास विरूपाक्ष (विजयनगर सम्राट)
जाम्बवती कल्याण कृष्णदेव राय
हम्मीर मद मर्दन जयसिंह सूरी (13वीं सदी)
गीत गोविन्द जयदेव
गंगादास प्रताप विलास गंगाधर
नोट:- इसमें चंपानेर के राजकुमार का गुजरात के शासक मुहम्मद द्वितीय के विरुद्ध युद्ध का वर्णन है।
मिताक्षरा विज्ञानेश्वर
प्रद्युम्न उदय रवि वर्मन (केरल का राजकुमार)
पार्वती परिणय वामन भट्ट बाण (1400 ई.)
प्रताप रूद्र कल्याण विद्यानाथ
विदेव माधव, ललित माधव रूप गोस्वामी (बंगाल के शासन हुसैन शाह का मंत्री)
प्रश्न: सल्तनत काल में हिन्दी साहित्य के विकास पर एक लेख लिखिए।
उत्तर: शर्फुद्दीन यजदी द्वारा लिखित जफरनामा (1424-25 ई.) में सर्वप्रथम हिन्दी शब्द का प्रयोग किया गया। मुल्ला दाउद ने 14वीं शताब्दी में चंदायन (अवधी भाषा) नामक हिन्दी कविता की रचना की। मलिक मुहम्मद जायसी ने 1540 ई. में पदमावत हिन्दी में लिखा। कुतबन नामक मुस्लिम कवि ने भी हिन्दू पौराणिक नायकों पर लिखा। अमीर खुसरों की पहेलियों में हिन्दवी भाषा का प्रयोग मिलता है। हिन्दी में मसनवी लिखने की प्रथा तुगलक काल में प्रारम्भ हई।
प्रश्न: सल्तनत काल में बांग्ला भाषा एवं साहित्य के विकास के बारे में बताइए।
उत्तर: सुल्तान नुसरत शाह ने महाभारत का प्रथम बंगाली अनुवाद काशीरामदास से कराया। सुल्तान हुसैनशाह ने मालाधार बाबू से भगवत गीता का बंगाली अनुवाद कराया। मालाधर बासु ने 1473 ई. में श्री कृष्ण विजय लिखना शुरू किया जिसके लिये सुल्तान ने उसे ‘‘गुणराज खान‘‘ की उपाधि दी। हुसैन शाह के एक सरदार पारगल खान ने महाभारत का बंगाली अनुवाद कवीन्द्र परमेश्वर से कराया। बारबकशाह के काल में कृत्तिवास ने बंगाली में रामायण का अनवाट कृतिवास की रामायण को बंगाल की बाइबिल कहा गया है। पारगल खाँ के पुत्र चत्ती खाँ ने श्री करनन्दी से महामाया के अश्वमेध पर्व का बांग्ला में अनुवाद करवाया। कवि चंडीदास ने बांग्ला भाषा को लोकप्रिय बनाया।
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