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इटली में मानववाद का जनक कौन था , मानवतावाद का पिता किसे कहा जाता है फ्रांसिस्को पेट्रार्क कौन थे ,

जाने इटली में मानववाद का जनक कौन था , मानवतावाद का पिता किसे कहा जाता है फ्रांसिस्को पेट्रार्क कौन थे ?

प्रश्न: फ्रांसिस्को पैट्रार्क का एक मानववादी के रूप में वर्णन कीजिए।
उत्तर: पैट्रार्क को मानववाद का जनक कहा जाता है। इसे पुनर्जागरण का जनक भी कहा जाता है। यह 14वीं शताब्दी का इटेलियन विद्वान था। इसके पिता दाते के घनिष्ठ मित्र थे ते के घनिष्ठ मित्र थे। पेटार्क के द्वारा लिखित ग्रंथों में अप्रीय नामक लंबा गीत लिखा जिसने सीपियों के अद्भुत जीवन का उल्लेख किया गया है। पैट्रार्क ने 14 पंक्तियों की विशेष कविता की शैली प्रारम्भ की जिसे सोनेट्स (Sonnets) कहते हैं। उसने सोनेट्स टू लोरा (Lora) नामक कविताएँ लिखी। इसके अन्य ग्रंथों में सम्मिलित हैं। फैमिलियर लैटर्स जिसमें प्राचीन विद्वानों को संबोधित किया गया है। जैसे सिसरो, वर्जिल, होरेस आदि। इलस्ट्रीयस मैन नामक पुस्तक में प्राचीन रोमन साम्राज्य के 30 रोमन शासकों का वर्णन किया गया है। इसने प्राचीन रोमन व यूनानी पाण्डुलिपियों को भी संग्रहीत किया तथा आधुनिक पुस्तकालयों की स्थापना की।

प्रश्न: पुनर्जागरणकालीन साहित्य की विशेषताएं बताइए।
उत्तर: पुनर्जागरण कालीन साहित्य की अग्रलिखित विशेषताएं थी। बोलचाल की/देशज भाषा में साहित्य की रचना की जाने लगी। साहित्य की विषय-वस्तु में परिवर्तन हो गया। अब धार्मिक विषयों के स्थान पर मनुष्य के जीवन व उसके कार्यकलाप को भी महत्व दिया गया। साहित्य की शैली में परिवर्तन हो गया अब व्यंग्यात्मक, गद्य-पद्य, कविताएं, नाटक, निबंध आदि शैलियों में लेखन किया जाने लगा। साहित्य मानवता प्रधान, आलोचनावादी, व्यक्तिवादी हो गया।
प्रश्न: पुनर्जागरणकालीन इटली के तीन महान् चित्रकारों एवं उनके चित्रों के नाम बताइए।
उत्तर: पुनर्जागरणकाल में इटली में तीन महान् चित्रकार हुये, जो निम्न थे रॉफेल (1483-1520 ई.) इटली का एक महान चित्रकार था। इसके प्रमुख चित्र ‘कोलोना मेडोना‘ तथा ‘स्कूल ऑफ एथेन्स‘ थे।
माइकल एंजलो (1475-1564 ई.) बहुमुखी प्रतिभा का धनी था। प्रमुख चित्र द लास्ट जजमेंट (The last Judgement), फॉल ऑफ मैन (Fall of Man) हैं।
लियोनार्दो द विन्ची (1452-1519 ई.) फ्लोरेन्स का एक महान् चित्रकार था। उसके प्रमुख चित्रों में हैं – मोनालीसा, लास्ट सपर (अंतिम भोज), वर्जिन ऑफ द रॉक्स, वर्जिन एण्ड चाइल्ड विद सेन्ट ऐन आदि प्रमुख हैं।

प्रश्न: पुर्नजागरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अंग्रेजी का Renaissance एक फ्रांसीसी शब्द है। जिसका अर्थ है – पुनर्जन्म या नवीन जीवन। रैनेसा 14वीं शताब्दी में इटली में प्रारम्भ हुआ जिसने 16वीं शताब्दी तक संपूर्ण यूरोप को प्रभावित किया। पुर्नजागरण के परिणामस्वरूप यूरोप में साहित्य, कला, विज्ञान व भौगोलिक खोजों के क्षेत्र में विकास हुआ। यह एक सांस्कृतिक चेतना तथा मानसिक क्रांति की दशा थी।
प्रश्न: पुनर्जागरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: पुनर्जागरण एक ऐसा बौद्धिक एवं सांस्कृतिक आंदोलन था जिसमें प्राचीन यूरोप की प्रेरणा पर नये यूरोप का निर्माण हुआ। जिसमें आलोचनात्मक एवं अन्वेषणात्मक प्रवृत्तियाँ जन्म ले रही थी। परिणामस्वरूप मानव मध्यकालीन बंधनों से मुक्त होकर स्वतंत्र चिंतन की ओर अग्रसर हुआ। मानव जीवन के विविध पहलुओं का उन्नयन हुआ, जो उस युग की कला, साहित्य, विज्ञान एवं दर्शन आदि क्षेत्रों में दृष्टिगत हुआ।

प्रश्न: ‘पुनर्जागरण की नवीन दृष्टि मध्यकालीन आदर्शों एवं मूल्यों पर एक प्रकार थी।‘ विवेचना कीजिए।
उत्तर: इस सन्दर्भ में इसने मध्यकालीन सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व्यवस्था व संस्थानों पर प्रहार किया।
1. पुनर्जागरण के विचार चर्च व ईसाई धर्म का राज्य पर प्रभाव पर प्रहार थे।
2. पुनर्जागरण के विचारों ने एक ओर मानव-मुक्ति के मार्ग को प्रशस्त किया वो दूसरी ओर राज्य की मुक्ति के मार्ग को।
3. पुनर्जागरण के विचारों के प्रभाव से राज्य के प्रति निष्ठा की भावनाओं को बल मिला। राष्ट्रीयता की भावना के विकास को बल मिला।
4. इन विचारों के द्वारा राज्य के विकास, राज्य की सशक्त स्थिति को बल मिला।
5. पुनर्जागरण के विचार चर्च के अलावा और अन्य मध्यकालीन संस्थानों पर प्रहार थे जो राज्य के विकास को बाधित करते थे। इसके अन्तर्गत सामन्तवाद, कुलीनतंत्र आदि को समझा जा सकता है।
6. इस सन्दर्भ में राज्य के विकास के लिए शासक का इन संस्थानों के प्रभावों से मुक्त होना एक अनिवार्य शर्त थी व पुनर्जागरण ने इसके लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण किया।
7. पुनर्जागरण के विचार मध्यकालीन आदर्शों व मूल्यों पर प्रहार थे। इस संदर्भ में वे आधुनिकता की दिशा में प्रयास थे। आधुनिक आदर्शों व मूल्यों के विकास के लिए मध्यकालीन आदर्शों व मूल्यों का पतन एक अनिवार्य शर्त थी। इस सन्दर्भ में पुनर्जागरण ने अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण किया।
8. तर्क प्रेरित व विवेक प्रेरित विचार एवं दृष्टिकोण, प्रगतिशीलता के परिचायक थे। इन विचारों की अभिव्यक्ति कला साहित्य, विज्ञान आदि क्षेत्रों में उन प्रवृत्तियों के विकास का परिचायक था, जोकि मध्यकाल से आधुनिक काल की ओर संक्रमण का द्योतक था।
इस सन्दर्भ में पुनर्जागरण उस पृष्ठभूमि के निर्माण से भी संबंधित है जो आधुनिक युग के उद्भव की पृष्ठभमि है।

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