उचित उदाहरणों द्वारा अभिक्रिया की कोटि एवं आण्विकता को समझाइए। अभिक्रिया की कोटि एवं आण्विकता में क्या अंतर है?
वेग की सान्द्रता निर्भरता कोटि एवं अणसंख्यता ! (CONCENTRATION DEPENDENCE OF RATES-ORDER AND MOLECULARITY
किसी रासायनिक अभिक्रिया की कोटि (order of a reaction) का तात्पर्य उस अभिक्रिया में भाग लेने वाले क्रियाकारकों के अणुओं तथा परमाणुओं की उस संख्या से है जिससे अभिक्रिया का वेग निर्धारित होता हो। यह क्रियाकारक की सान्द्रता के घातांक के बराबर होता है जिस पर अभिक्रिया का वेग निर्भर करता है। उदाहरण के लिए
, A →Product
उपर्युक्त अभिक्रिया में अभिक्रिया का वेग
r = k1[A] ….(5) होता है,
अर्थात् यह अभिक्रिया प्रथम कोटि (first order reaction) की है, क्योंकि अभिक्रिया का वेग केवल A की सान्द्रता के प्रथम घातांक [A]’ पर निर्भर करता है।
यदि अभिक्रिया निम्न प्रकार की हो : 2A→ Product
अथवा A+B → Product
उपर्युक्त दोनों अभिक्रियाओं में अभिक्रिया वेग निम्न प्रकार के होंगे :
r = k[A]2 ………….(5)
अथवा r =k[A][B] …..(6)
अर्थात् अभिक्रिया का वेग एक अभिकारक की सान्द्रता के द्वितीय घातांक पर अथवा दो अभिकारकों की सान्द्रता के प्रथम घातांकों पर निर्भर करता है, ऐसी अभिक्रियाओं को हम द्वितीय कोटि की अभिक्रियाएं कहते। इसी प्रकार यदि एक अथवा अधिक क्रियाकारकों के तीन अणुओं की सान्द्रता पर अभिक्रियाओं का वेग निर्भर करता हो तो वे तृतीय कोटि की अभिक्रियाएं होंगी। जैसे,
3A – Product; r = k[A]3
अथवा 2A + B → Product; r = k3[A]2 [B]
अथवा A+2B→ Product; r =k3[A][B]
A+B+C – Product; r=k3 [A][B][C]
उपर्युक्त समस्त अभिक्रियाएं तृतीय कोटि की हैं।
किसी अभिक्रिया की अणुसंख्यता (molecularity of a reaction) का ताप्तर्य उस अभिक्रिया में भाग लेने वाले अणुओं, परमाणुओं अथवा आयनों की उस संख्या से है जिससे अभिक्रिया की स्टॉइकियोमितीय istoichiometric) समीकरण दर्शायी जाती हो।
ऊपर दिए गए सब उदाहरणों में अभिक्रियाओं की अणसंख्यता वही है जो उनकी कोटि है अर्थात् प्रथम कोटि वाली अभिक्रिया की अणुसंख्यता एक है, द्वितीय कोटि वाली अभिक्रियाओं की अणुसंख्यता दो व तृतीय कोटि वाली समस्त अभिक्रियाओं की अणसंख्यता तीन है। इस प्रकार हम यह भी कह सकते हैं कि किसी अभिक्रिया का कोटि व अणसंख्यता समान होती है. और कई बल्कि अधिकांश अभिक्रियाओं के लिए ऐसा होता भी है कि एक अणुसंख्यक (unimolecular अभिक्रिया की कोटि एक हो, द्विअणुसंख्यक (bimolecular) अभिक्रिया की कोटि दो हो तथा त्रिअणुसंख्यक (trimolecular) अभिक्रिया की कोटि तीन ही हो, किन्तु सदेव ऐसा नहीं होता। उदाहरण के लिए, निम्न समीकरण: ।
2N2O5 – 4NO2+O2
स्टॉइकियामितीय वसे एक द्विअणुसंख्यक अभिक्रिया है. अर्थात इसके सन्तलित समीकरण में क्रियाकारको के। दो अणु अभिक्रिया में भाग लेने वाले हैं। किन्तु जब इस अभिक्रिया का बलगतिकीय अध्ययन (kinetic study) किया जाता है तो अभिक्रिया निम्न प्रकार की समीकरण का अनुसरण करती है :
अभिक्रिया का वेगा= k[N2O5]
अर्थात् अभिक्रिया का वेग N205 की प्रथम घातांक की सान्द्रता पर ही निर्भर करता है। अतः अभिक्रिया प्रथम कोटि की है। इसी प्रकार ब्रोमाइड-ब्रोमेट अभिक्रिया में भी स्टोइकियोमितीय समीकरण के अनुसार
6H+ +5 Br– + BrO3 →3Br2 + 3H2O
अभिक्रिया की अणुसंख्यता 12 है, लेकिन इसकी वेग समीकरण निम्न प्रकार की होती है : । अभिक्रिया वेग = K [Br ] [BrO3] [H+]2
जिससे प्रदर्शित है कि इसकी कोटि की संख्या मात्र 4 ही है।।
कुछ अभिक्रियाएं ऐसी होती हैं जिनमें विलायक के अणु भी क्रियाकारक के रूप में होते हैं, ऐसी स्थिति में अभिक्रिया का वेग विलायक की सान्द्रता पर निर्भर तो करता है, लेकिन विलायक चूंकि बहुत अधिक मात्रा (excess) में उपस्थित होता है, अतः सान्द्रता की थोडी कमी अभिक्रिया वेग को प्रभावित नहीं कर पाती। उदाहरण के लिए, एथिल ऐसीटेट का अम्ल उठोरित या अम्लीय जल-अपघटन निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है:
CH3COOC2H5 + H2O – CH3COOH + C2H5OH
इस अभिक्रिया में अम्ल उप्रेरक की उपस्थिति में क्रियाकारक के दो अणु भाग ले रहे हैं, अतः इसकी अणुसंख्यता दो है, किन्तु इसका वेग समीकरण निम्न प्रकार होता है :
वेगा= k[CH3COOC2H5]
इसका कारण यह है कि अभिक्रिया मिश्रण में जल की बहुत अधिक मात्रा विद्यमान है, अतः इसकी । सान्द्रता में हुआ सूक्ष्म परिवर्तन मापने योग्य नहीं होता, अतः अभिक्रिया का वेग केवल एथिल ऐसीटेट की प्रथम घातांक सान्द्रता पर ही निर्भर करता है। ऐसी अभिक्रियाओं को हम छम प्रथम कोटि (Pseudo first order) की अभिक्रियाएं कहते हैं।
सारणी : किसी अभिक्रिया की कोटि व अणुसंख्यता में अन्तर
अणुसंख्यता | कोटि | |
1.
2.
3.
4. |
अभिक्रिया में भाग लेने वाले अण, परमाणु या आयनों की संख्या जो स्टॉइकियोमितीय समीकरण में हो।
यह एक सैद्धान्तिक पद है।
इसका मान धनात्मक़ ही होता है।
इसका मान पूर्ण संख्या ही हो सकता है। |
अभिक्रिया में भाग लेने वाले अण, परमाणु या आयनों की संख्या जिन पर अभिक्रिया का वेग निर्भर करता हो।
इसका मान प्रयोगों द्वारा निर्धारित होता है।
इसका मान शून्य अथवा ऋणात्मक भी हो सकता है।
इसका मान भिन्नात्मक भी हो सकता है।
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