Difference between Coleoptile and Coleorhiza in hindi प्रांकुर चोल तथा मूलांकुर चोल में अन्तर क्या हैं ?
प्रश्न : प्रांकुर चोल (Coleoptile) और मूलांकुर (Coleorhiza) इनमें विभेद करें ?
उत्तर :
प्रांकुर चोल (Coleoptile) | मूलांकुर चोल (Coleorhiza) |
1. एकबीजपत्रीय भ्रूणीय अक्ष से बीजपत्र (स्कुटेलम) के जुड़ाव स्थल से ऊपर, भ्रूणीय अक्ष का बीजपत्रोपरिक (epicotyl) तथा प्ररोह शीर्ष कुछ आद्यपर्णों (primitive leaves) से आवृत होता है। यह खोखली पर्णीय संरचना के रूप में पायी जाती है। इसे प्रांकुर चोल (coleoptile) कहते हैं।
2. इसका मुख्य कार्य प्रांकुर की रक्षा के रूप में होती है | अर्थात यह प्रांकुर की सुरक्षा करता है। 3. यह अनाज से बहुत आगे तक बढ़ता है। अर्थात ग्रेन से ऊपर या आगे की तरफ काफी बढ़ता है | 4. कोलॉप्टाइल अर्थात प्रांकुर चोल में पहली पत्ती के उद्भव के लिए एक टर्मिनल छिद्र होता है। 5. अंकुरण के दौरान मिट्टी से निकलने के बाद प्रांकुर चोल हरा हो जाता है और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करता है | |
एकबीजपत्रीय भ्रूणीय अक्ष से बीजपत्र (स्कुटेलम) के जुड़ाव स्थल से नीचे भ्रूणीय अक्ष का बीजपत्राधार तथा मूलांकुर शीर्ष अविभेदित आवरण से आवृत होता है। इसे मूलांकुर चोल (coleorhiza) कहते हैं।
इसका मुख्य कार्य मूलांकुर की सुरक्षा के रूप में होता है | अर्थात यह मूलांकुर की सुरक्षा करता है। अनाज से निकलने के बाद इसका बढ़ना लगभग या पूर्ण रूप से बंद कर देता है | कोलोरिज़ा (मूलांकुर चोल) एक ठोस संरचना है। मूलांकुर चोल मिट्टी से नहीं निकलती है। यह नॉनग्रीन रहता है अर्थात हरा नहीं हो पाता है जिसके कारण यह प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करने में समर्थ नहीं होता है | |