हमारी app डाउनलोड करे और फ्री में पढाई करे
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now
Download our app now हमारी app डाउनलोड करे

आनन्द मठ पुस्तक के लेखक ? आनन्दमठ उपन्यास किसके द्वारा लिखा गया था ? रचना किसकी है

By   November 15, 2022

जाने आनन्द मठ पुस्तक के लेखक ? आनन्दमठ उपन्यास किसके द्वारा लिखा गया था ? रचना किसकी है ?

उत्तर : बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने 1865 में अपना उपन्यास ‘दुर्गेश नंदिनी‘ तथा “आनन्दमठ‘‘ लिखा।

सब्सक्राइब करे youtube चैनल

प्रश्न: बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय एक राष्ट्रवादी लेखक थे? विवेचना कीजिए।
उत्तर: ये 19वीं शताब्दी के बंगाल के प्रकांड विद्वान, महान कवि, विख्यात उपन्यासकार, साहित्यकार एवं राष्ट्रवादी थे। उन्होंने देशभक्ति के विचार को धर्म के आवश्यक अंग के रूप में प्रस्तुत किया। भारत के राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्‘ के रचयिता बंकिमचन्द्र चटटोपाध्याय का जन्म कांठल पाड़ा (चैबीस परगना-बंगाल) में 27 जून, 1838 को ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा कलकत्ता में हुगली में माहुसिन कालेज व प्रेसीडेंसी कॉलेज में हई। उन्होंने बंगाल व भारत में साहित्यिक जागरूकता पैदा करने में महती योगदान दिया। वे जेसोर के डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त हुए 1844 में उन्हें ‘Companion, Order of the Indian Empire’ बनाया गया। बंकिम चंद्र प्रख्यात बंगाली लेखक कवि व पत्रकार थे। 1865 में अपना उपन्यास ‘दुर्गेश नंदिनी‘ तथा. “आनन्दमठ‘‘ लिखा। ‘आनन्दमठ‘ बंकिमचन्द्र का सर्वाधिक प्रसिद्ध उपान्यास है। यह संन्यासी विद्रोह की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। यह उपन्यास देशभक्ति का उद्गार है। उन्होंने अपना प्रसिद्ध गीत ‘वंदे-मातरम‘ 1874 में लिखा था जिसे बाद में अपने उपन्यास ‘आनंद मठ‘ में शामिल कर दिया। बंकिमचन्द्र ने अप्रैल, 1872 से ‘बंगदर्शन‘ नामक साहित्यिक पत्र भी निकालना शुरू किया। इसमें संपादक स्वयं बंकिम थे। आधुनिक बंगला साहित्य के जनक बंकिमचन्द्र ही थे। उनसे पहले राजा राम मोहन राय और ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने बंगला गद्य को संवारा था। महाकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर की साहित्यिक शिक्षा बंकिम के सानिध्य में ही हुई।
‘कपाल कंडला‘ (1866), ‘मृणालिनी‘ (1869),‘ (1873), ‘कृष्णकान्त का वसीयतनामा‘ (1878), ‘रजनी‘ (1877), ‘चंद्रशेखर‘ (1877) आदि बंकिमचन्द्र द्वारा लिखित उपन्यास हैं। इसके वन्देमातरम् गीत ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया था। ‘राजतिसंह‘ (1881), ‘देवी चैधरानी‘ (1884), ‘कमला कांतरे दफ्तर‘ अर्थात् ‘कमलाकांत का रोजनामचा‘ आदि इनके अन्य उपन्यास हैं। ‘सीतरा‘ (1886) उनका अंतिम उपन्यास है। बंकिम चन्द्र ने ‘कृष्ण चरित्र‘ नाम से भी कुछ लेख लिखे। उनमें उन्होंने नए ढंग से कृष्ण भगवान के कार्य की व्याख्या की। बंकिमचंद्र का देहान्त 8 अप्रैल, 1897 को कोलकाता में हुआ।

प्रश्न: नवगोपाल मित्र
उत्तर: नवगोपाल मित्र (1846-1894 ई.) बंगाली कवि, नाटककार तथा राष्ट्रवाद के साकार प्रतीक थे। इन्होंने राष्ट्रीय मेला या जातीय मेला के नाम से राष्ट्रीयता के उत्थान से संबंधित प्रसिद्ध मेला. 1867 ई. से प्रारंभ किया। उनके द्वारा स्थापित सभी संस्थाओं के नाम राष्ट्रीय या नेशनल से आरंभ होने के कारण इन्हें ‘नेशनल मित्र‘ भी कहा जाता था। इन्होंने नेशनल पेपर का प्रकाशन किया, इसके अलावा नेशनल स्कूल, नेशनल जिम खाना, नेशनल सर्कस एवं नेशनल थिएटर (कलकत्ता का प्रथम थिएटर) की स्थापना की और नेशनल शब्द को लोकप्रिय बना दिया।
प्रश्न: गोपाल गणेश आगरकर
उत्तर: महाराष्ट्र के चितपावन ब्राह्मण गोपाल गणेश आगरकर (1856-1895 ई.) पत्रकार, समाज सुधारक और महान राष्ट्रवादी थे। इन्होंने जाति प्रथा एवं अस्पृश्यता की निंदा की एवं बाल विवाह का विरोध किया। आगरकर, तिलक एवं रानाडे के सहयोगी भी रहे थे। 1888 से उन्होंने साप्ताहिक पत्र ‘सुधारक‘ निकालना प्रारंभ किया तथा ये मराठा एवं केसरी के सम्पादक रहे।