प्रकाश संश्लेषण क्या है , कैसे होता है , परिभाषा , प्रयोग , अभिक्रिया , वर्णक photosynthesis in hindi

(photosynthesis in hindi) प्रकाश संश्लेषण : पादप के हरे भागों द्वारा प्रकाश की उपस्थिति में जल तथा कार्बन डाइ ऑक्साइड का उपयोग करके भोजन निर्माण की प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते है |

प्रकाश संश्लेषण केवल हरे पादपों में ही संभव है , प्रकाश संश्लेषण एक उपापचयी क्रिया है , प्रकाश-संश्लेषण में सूर्य की प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदला जाता है |

प्रकाश संश्लेषण का इतिहास व प्रारम्भिक प्रयोग

  1. स्टीफन हेल्स (1727) : इनके अनुसार पौधे प्रकाश की उपस्थिति में भोजन का निर्माण करते है , स्टीफन हेल्स को पादप कार्यिकी का जनक कहा जाता है |
  2. जोसेफ प्रिस्टले (1770) : इन्होने ऑक्सीजन की खोज की थी तथा सर्वप्रथम बताया था की पादप जन्तुओं द्वारा दूषित वायु को शुद्ध करते है | प्रिस्टले ने अपने प्रयोगों में बेलजार में जलती मोमबत्ती व चूहे को रखा तो कुछ समय बाद मोमबत्ती बुझ गई तथा चूहा मर गया |

लेकिन जलती मोमबत्ती व चूहे के साथ बेलजार में पुदीने का पौधा रखा तो पाया की चूहा जीवित रहा और मोमबत्ती भी जलती रही , इस प्रयोग से सिद्ध हुआ की पादप अशुद्ध वायु को शुद्ध करते है |

  1. जॉन इन्जन हाउस (1730-1799) : इन्होने बताया की वायु का शुद्धिकरण केवल पौधे के हरे भागों द्वारा तथा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ही होता है |
  2. जीन सिनेबार (1782) : इनके अनुसार हरे पादप प्रकाश की उपस्थिति में CO2 लेते है तथा O2 मुक्त करते है |
  3. जुलियस वोन सैच (1854) : इन्होने सर्वप्रथम प्रमाण दिया की पादप के हरे भागों में ग्लूकोज बनता है जो स्टार्च के रूप में संचित रहता है |
  4. थियोडोर एंजिलमैन (1884) : इन्होंने प्रकाश संश्लेषण की विभिन्न तरंगदैधर्यो की भूमिका को खोजा तथा सक्रीय स्पेक्ट्रम को निर्मित किया |
  5. एफ.एफ. वलैक मैन (1905) : इन्होने सर्वप्रथम बताया की प्रकाश संश्लेषण , प्रकाश रासायनिक व जैव रासायनिक अभिक्रिया है , दो चरणों में पूर्ण होती है |
  • प्रकाशिक अभिक्रिया
  • अप्रकाशिक अभिक्रिया
  1. उन्नीसवी (19 वीं) सदी में स्पष्ट हो गया की पौधे CO2 , H2O व प्रकाश संश्लेषण का उपयोग कर कार्बोहाइड्रेट बनाते है |
  2. कुछ रसायन संश्लेषी जीवाणु जल के स्थान पर H2S का उपयोग कर प्रकाश संश्लेषण कर सकते है , H2S हाइड्रोजन दाता होता है तथा उत्पाद ऑक्सीजन न होकर सल्फाइड प्राप्त होता है |
  3. वर्तमान में प्रकाश संश्लेषण को प्रस्तुत करने वाला सही समीकरण निम्न है

6CO2 +  12H2O = C6H12O6 + 6O2 + 6H2O

प्रकाश संश्लेषण कहाँ संपन्न होता है ?

प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया पत्ती व अन्य हरे भागों में होती है , पत्ती में उपस्थित पर्णमध्योत्तक कोशिकाओं के क्लोरोप्लास्ट में प्रकाश संश्लेषण होता है |

प्रकाश संश्लेषण की क्रिया दो प्रतिक्रियाओं के रूप में होती है |

  1. प्रकाशिक अभिक्रिया : यह प्रकाश पर आधारित है |
  2. अप्रकाशिक अभिक्रिया : यह प्रकाश पर आधारित नहीं होती | इसमें ATP व NADPH का संश्लेषण होता है |

वर्णको के प्रकार : पत्ती के रस का पेपर क्रोमेटोग्राफी द्वारा अध्ययन करने पर चार प्रकार के वर्णक पाये जाते है |

  1. क्लोरोफिल “ए” = चमकीला नीला हरा
  2. क्लोरोफिल “बी” = पीला हरा
  3. जेन्थोफिल = पीला
  4. कारटीनॉइडस = पीले से नारंगी

वर्णक वे पदार्थ है जिनमे प्रकाश की विशिष्ट तरंगदैधर्य को अवशोषित करने की क्षमता होती है | ग्राफो के अध्ययन से स्पष्ट है की क्लोरोफिल “ए” अर्थात नीला व लाल क्षेत्र में प्रकाश का अवशोषण अधिकतम होता है | क्लोरोफिल “ए” के अतिरिक्त अन्य वर्णक भी प्रकाश अवशोषित करते है जिन्हें सहायक वर्णक कहते है |

जैसे क्लोरोफिल “बी” , जैन्थोफिल , कारटीनॉइडस , ये अलग अलग तरंगदैधर्य के प्रकाश को अवशोषित कर क्लोरोफिल “ए” को स्थानांतरित करते है | तथा क्लोरोफिल “ए” को फोटोऑक्सीडेशन से भी बचाते है |