(Ozone) ओजोन (O3) :
बनाने की विधि :
जब शुष्क O2 का निरव विद्युत विसर्जन करते हैं 10% ओजोन बनती है
3O2 → 2O3
गुण :
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यह पित नीले रंग की गैस है , गहरे नीले रंग का द्रव तथा बैंगनी काले रंग का ठोस है
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आक्सीकारक गुण – ओजोन के अपघटन से नवजात ऑक्सीजन (O) बनती है , यह ऑक्सीजन दूसरे पदार्थ का ऑक्सीकरण कर देती है , ओजोन के इस गुण को आक्सीकारक गुण कहते हैं , यह गुण निम्न है
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यह PbS को PbSO4 मैं ऑक्सीकरण कर देती है
PbS + 4O3 → PbSO4 + 4O2
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यह आयोडाइड को आयोडीन में ऑक्सी कृत कर देती है
2I + O3 + H2O → I2 + O2 + 2OH–
Or
2KI + O3 + H2O → I2 + O2 + 2KOH
नोट : जब KI बिलियन की क्रिया ओजोन से की जाती है तो आयोडीन मुक्त होती है , इस आयोडीन का अनुमापन हाइपो बिलियन से करने पर ओजोन का मात्रात्मक आकलन किया जाता है
नोट : पृथ्वी से 20 किलोमीटर ऊंचाई पर प्रकाश की उपस्थिति में ऑक्सीजन गैस ओजोन में परिवर्तित हो जाती है जिस से ओजोन परत बनती है यह पृथ्वी पर पराबैंगनी किरणों को आने से रोकती है इसका क्षय निम्न दो कारणों से हो सकता है
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जेट विमान से निकलने वाले धुएं में NO उपस्थित रहता है यह ओजोन से क्रिया कर लेता है
NO + O3 → O2 + NO2
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फ्रेऑन का उपयोग प्रशीतक तथा एरोसोल के रूप में किया जाता है फ्रेऑन ओजोन परत का क्षय करते हैं
सल्फर डाई ऑक्साइड (SO2) (Sulfur dioxide):
बनाने की विधि :
1. S + O2 → SO2
2. सोडियम सल्फाइड की क्रिया सांद्र H2SO4 से करने पर
Na2SO3 + H2SO4 → Na2SO4 + H2O + SO2
3. आयन पाइराइट को O2 के साथ गर्म करने पर
4FeS2 + 11O2 → 2Fe2O3 + 8SO2
गुण :
1. यह रंगहीन तीक्ष्ण गंधयुक्त गैस है।
2. जल से क्रिया
SO2 + H2O → H2SO3
3 . NaOH से क्रिया करने पर सोडियम सल्फाइड बनता है इसमें और SO2 गैस प्रवाहित करने पर सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट बनता है।
SO2 + 2NaOH → Na2SO3 + H2O
Na2SO3 + H2O + SO2 → 2NaHSO3
4. क्लोरीन से क्रिया
SO2 + Cl2 → SO2Cl2
5. O2 से क्रिया
2SO2 + O2 → 2SO3
अपचायक गुण :
नमी युक्त SO2 दूसरे पदार्थों को अपचयित कर देती है इस गुण को अपचायक गुण कहते है।
1. यह फेरिक आयन के फेरस आयन में अपचयित कर देती है।
SO2 + 2Fe3+ + 2H2O → SO42- + 2Fe2+ + 4H+
2. यह परमैग्नेट आयन (बैंगनी रंग ) को Mn2+ आयन में अपचयित कर देती है जिससे बैंगनी रंग गायब हो जाता है यह क्रिया SO2 परिक्षण में काम आती है।
2MnO4– + 5SO2 + 2H2O → 5SO42- + 2Mn2+ + 4H+
नोट : SO2 में अनुनाद के कारण दोनों बंध की बन्ध लम्बाई समान होती है।