ओस्टवाल्ड तथा वॉकर की गतिक विधि (Ostwald And Walker Method in hindi)

(Ostwald And Walker Method in hindi) ओस्टवाल्ड तथा वॉकर की गतिक विधि : इस विधि में शुष्क वायु को क्रमशः विलयन विलायक व किसी अभिक्रमक में से प्रवाहित किया जाता है , चूँकि सामान्यत: जलीय विलयन लिए जाते है अत: अभिक्रमक के रूप में CaCl2 को काम में लिया जाता है , इस विधि में प्रयुक्त उपकरण को चित्रानुसार दर्शाया जाता है , जिसमें बल्बों के दो समुच्चय i तथा ii तथा u नालियों का समूह होता है।
ये तीनो परस्पर चित्रानुसार जुड़े होते है –

दो बल्बों के एक सेट में एक विलयन भर दिया जाता है , व दूसरे सैट में शुद्ध विलायक भर दिया जाता है।
U नालियों में CaCl2 भरा जाता है एवं इन्हें तौल लिया जाता है , फिर इन्हे स्थिरतापी (thermostat) में रख दिया जाता हैं।  पूर्णत: शुष्क वायु को इस पूरी assemble में से गुजारा जाता है , शुष्क वायु जब विलयनों के बल्बों में से प्रवाहित होती हैं तो उस विलयन की वाष्प से संतृप्त हो जाती है।
इस सैट में वायु के साथ जितनी वाष्प मिलेगी वह विलयन के वाष्प दाब PS के समानुपाती होगी।
अत: यह वायु जब विलायकों के बल्बों में से गुजरती है तो वहाँ कुछ और वाष्प वायु के साथ मिल जाती है , वाष्प की यह मात्रा विलयन व विलायक के वाष्पदाबो के अंतर (P – PS) के समानुपाती होगी। और जब यह वाष्प युक्त दाब वायु CaCl2 की नलियों में से प्रवाहित होगी तो समस्त वाष्प अवशोषित हो जाएगी अर्थात CaCl2 वायु की जलवाष्प को अवशोषित कर लेता है अंत में तीनों सैटो को तौल लिया जाता है।
विलयन वाले बल्बों के भार में कमी  PS
विलायक वाले बल्बों के भार में कुल कमी ∝ (P – PS)
बल्बों के भार में कुल कमी ∝ (P – PS) + PS
अत: बल्बों के भार में कुल कमी  P
U नलियों में कुल वृद्धि = बल्बों के भार में कुल कमी = P
अत: विलायक के भार में कमी / CaClके भार में वृद्धि
अर्थात = (P – PS) / P
इसे वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन कहते है।
तथा इस प्रकार विधि का प्रयोग कर इस तरह वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन ज्ञात करते है।