(menstrual cycle)(M.C) in hindi आर्ताचक्र/रजचक्र/रजोधर्म/मासिक धर्म/ मासिक चक्र/माहवारी/ ऋ़तुचक्र/ऋतु स्राव
मादा प्राइमेट में पाये जाने वाले जनक चक्र को रज चक्र कहते है।
यौवनाराम्भ होने पर मोदा में योनि मार्ग से नियमित अंतवास पर रक्त प्रवाह होता है यह क्रिया जब प्रथम बार होती है उसे रजोदर्शन ;डमदंतबीद्ध कहते है। यह क्रिया प्रायः 13-15 वर्ष की आयु में प्रारंभ होती है यह क्रिया लगभग 40-50 आयु में बंदतो जाती है। जिसे रजो निवृत्ति ;डवदवचनतनेमद्धअंतराल में होने वाली इन क्रियाओं को आर्तव चक्र कहते है। इसकी अवधि 28-30 दिन की होती है।
रजनो दर्शन से निरजोनिवृत्ति तक कोई महिला गर्भाधारण कर सकती है। गर्भावरण करने पर आर्तवचक्र बंद हो जाता है किन्तु आर्तव चक्र का न आना हमेशा गर्भाधारण का सूचक नहीं होता है। कमजोरी, तनाव या अन्य किसी कारणों से अतिव चक्र नहीं हो सकता है।
आर्तव अवस्था:-
- यह अर्तवचक्र की प्रथम प्रावस्था है।
- यह एक से लेकर 3 या 5 दिनाँक जारी रहती है।
- इसमें योनि मार्ग से रक्त स्राव होता है। इसमें गर्भाशय से ़़त्र अतंःस्तर नष्ट हो जाता है तथा रक्त वाहिनियाँ फट जाती है।
पुटकीय अवस्था:-
- यह आर्तव चक्र की दूसरी अवस्था है।
- यह 8 वे दिन से 13 वें दिन तक पायी जाती है।
- अण्डाशयों में पुटकों का विकास होता है।
- गर्भाशय की अंतःस्तर एण्डोमेट्रिसम की मरम्मत होती है।
- स्भ् व थ्ैभ् की मात्रा में क्रमशः वृद्धि होती जाती है।
अण्डोत्सर्ग:-
- यह आर्तव चक्र की तृतीय अवस्था है।
- यह 14 वें दिन होती है।
- LH हार्मोन का स्त्रवण अधिकतम होता है जिसे स्भ् सर्ज कहते है जो अण्डोत्सर्ग को प्रेरित करता है।
- ग्राफी पुरक फट जाता है तथा अण्डाणु का मोचन हो जाता है इस क्रिया को अण्डोत्सर्ग कहते है।
पित पिण्ड अवस्था:-
1 यह आर्वव चक्र की अंतिम अवस्था है
2 15 वे से 28 दिन तक पाई जाती है।
3 फटा हुआ ग्राफी पुटक एक अंस्त्रावी ग्रन्थि में बदल जाता है जिसेपित पिण्ड कहते है।
अपण् निषेचन न होने पर पिण्ड श्वेत पिण्ड में बदल जाता है अगला आर्तव चक्र आरंभ हो जाता है।
Sir ji aap Biology ke portion me hindi ki words ko galat likhte ho. Plz inhe thik kar dijiye. Kyuki hum aapki post se padhte h tho dikkat hoti hai. So please meri problem ko solve kar dijiye..
सूचना देने के लिए आपका धन्यवाद अमन रावत |
Thik hai kuch aur ………….