समविभव पृष्ठ की परिभाषा क्या है , equipotential surface in hindi गुणधर्म , उदाहरण , सम विभव सतह

equipotential surface in hindi समविभव पृष्ठ की परिभाषा क्या है , गुणधर्म , उदाहरण सम विभव सतह : किसी विद्युत क्षेत्र (E) में रखा ऐसा पृष्ठ जिसके सभी बिंदुओं पर विद्युत विभव (V) का मान एक समान हो , उस पृष्ठ को समविभव पृष्ठ कहते है।

चूँकि समविभव पृष्ठ के सभी बिन्दुओ पर विभव का मान समान होता है अतः दो बिंदुओं में मध्य विभवान्तर का मान शून्य होता है।
विभवांतर का मान शून्य है अर्थात सभी जगह विभव का मान समान है अतः आवेश को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ेगा अर्थात किया गया कार्य का मान शून्य होगा।
चूँकि किया गया कार्य शून्य है इसका अभिप्राय यह है की E (विद्युत क्षेत्र ) तथा विस्थापन (dl) के मध्य 90 डिग्री का कोण है अर्थात एक दूसरे के लंबवत है , दूसरे शब्दों में कहे तो विद्युत क्षेत्र की दिशा पृष्ठ के लंबवत होगी।

समविभव पृष्ठ के गुणधर्म (properties of equipotential surface)

1. हमने विभवांतर में पढ़ा था की विभवान्तर उस कार्य के बराबर होता है जो एक बिंदु से दूसरी बिंदु अर्थात निम्न विभव बिंदु से उच्च विभव बिंदु तक लाने में करना पड़ता है।
VAB = WAB = VA – VB
A पर विभव Vतथा B पर विभव VB तो विभवान्तर
चूँकि हमने समविभव की परिभाषा में पढ़ा की इस पृष्ठ पर सभी बिंदुओं पर विभव का मान समान होता है अर्थात
VA = VB
अतः कृत कार्य
WAB = 0 
अर्थात समविभव पृष्ठ पर स्थित किसी बिन्दु से अन्य बिंदु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता।
2. हम जानते है की किसी एकांक धन आवेश को dl दूरी तक विस्थापित करने में किया गया कार्य निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है।
dW = E.dlCosθ
चूँकि ऊपर हमने देखा की समविभव पृष्ठ पर एक जगह से दूसरी जगह जाने में (विस्थापन) कोई कार्य नहीं करना पड़ता अर्थात कृत कार्य शून्य होता है
अतः
dW = E.dlCosθ = 0
यहां E तथा dl तो शून्य संभव नहीं है
अतः Cosθ = 0
θ = 90
अर्थात समविभव पृष्ठ में E (विद्युत क्षेत्र ) तथा dl (विस्थापन ) के मध्य 90 डिग्री का कोण बनता है अर्थात विद्युत क्षेत्र समविभव पृष्ठ के लंबवत होता है।

समविभव पृष्ठ के उदाहरण (examples of equipotential surface ):

1. माना किसी विलगित आवेश के +q के कारण r दूरी पर विद्युत विभव का मान

यदि इस +q आवेश के चारो ओर r त्रिज्या का गोलीय पृष्ठ बनाया जाए तो इस गोलीय पृष्ठ के सभी बिंदुओं पर विभव का मान समान होगा अर्थात समविभव पृष्ठ गोलीय आकार का हो सकता है जिसका केंद्र +q आवेश होगा।

2. यदि x दिशा में विद्युत क्षेत्र E है तो x के लंबवत रखा समतल पृष्ठ समविभव पृष्ठ होता है।
3. चित्रानुसार समविभव पृष्ठ समान प्रकृति व परिमाण के आवेश युग्म मिलकर बनाते है।

समविभव पृष्ठ (equipotential surface) : ऐसा पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विद्युत विभव समान होता है उस पृष्ठ को सम विभव पृष्ठ कहते है।

समविभव पृष्ठ की विशेषताएँ निम्न है

विभवान्तर की परिभाषा के अनुसार किन्ही दो बिन्दुओ के बीच विभवान्तर उस कार्य के बराबर होता है जो एकांक धन आवेश को निम्न विभव बिंदु से उच्च विभव के बिंदु तक ले जाने में करना पड़ता है।
अर्थात A और B बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर –
VB – VA = WAB
यदि A तथा B दोनों बिंदु एक समविभव पृष्ठ पर स्थित है अत: VB =  VA
WAB =  VB =  VA = 0
अर्थात सम विभव पृष्ठ पर किन्ही दो बिन्दुओ के मध्य परिक्षण आवेश को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं किया जाता है।
एकांक धन आवेश को किसी सम विभव पृष्ठ पर एक सूक्ष्म विस्थापन dl देने में किया गया कार्य –
dW = E.dl = E.dl.cosθ = 0
cosθ = 0 अत:  θ = 90 अर्थात E ⊥ dl
इससे स्पष्ट है कि विद्युत क्षेत्र सदैव समविभव पृष्ठ के लम्बवत होता है।
एक बिंदु आवेश के कारण इससे r दूरी पर उत्पन्न विभव –
V = q/4πε0r  . . . .      समीकरण-1
स्पष्ट है कि यदि  r का मान नियत हो जाए तो V का मान भी नियत हो जायेगा।

समविभव पृष्ठ की कुछ महत्वपूर्ण आकृतियाँ

यदि समीकरण-1 से एक विलगित बिंदु आवेश को केंद्र मानकर समकेन्द्रीय गोलीय पृष्ठ खींचे जाए तो प्रत्येक गोलीय पृष्ठ सम विभव पृष्ठ होगा।

एक वैद्युत द्विध्रुव के कारण समविभव और समान प्रकृति और परिमाण के आवेश युग्म के कारण समविभव पृष्ठ में प्रदर्शित है।

समविभव पृष्ठ : किसी दिए गए आवेश वितरण के लिए समान विभव वाले बिन्दुओं का बिन्दुवत “समविभव पृष्ठ” कहलाता है।
महत्वपूर्ण बिन्दु :
  • सम विभव पृष्ठ कभी भी एक दुसरे को नहीं काटते है , अन्यथा एक ही स्थान पर विभव के दो मान हो जायेंगे , जो संभव नहीं है।
  • समविभव पृष्ठ हमेशा बल रेखाओ के लम्बवत होते है।
  • यदि समविभव पृष्ठ के अनुदिश किसी आवेश को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक विस्थापित किया जाए तो किया गया कार्य शून्य होता है। WAB = -UAB = q(VB – VA) = 0   [चूँकि VB = VA]
समविभव पृष्ठ : यदि सम्पूर्ण पृष्ठ पर विभव एक समान है तो ऐसे पृष्ठ को समविभव कहते है।
सम विभव के गुण :
  • जब समविभव पृष्ठ पर किसी आवेश को एक बिंदु से दुसरे बिन्दु तक विस्थापित किया जाता है तो स्थिर वैद्युत बल के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
  • विद्युत क्षेत्र समविभव पृष्ठ के लम्बवत होता है।
  • दो समविभव पृष्ठ कभी भी एक दुसरे को नहीं काटते है।

समविभव पृष्ठ के उदाहरण

1. बिंदु आवेश : गोलीय और संकेन्द्रीय समविभव पृष्ठ दिखाया गया है। चित्रानुसार हम देख सकते है कि R1 त्रिज्या के गोले के पूरे पृष्ठ पर विभव V1 है और इसी प्रकार अन्य संकेन्द्रीय गोले के लिए भी विभव समान है।
2. रैखिय आवेश : रेखीय आवेश के लिए समविभव पृष्ठ अलग अलग त्रिज्याओ के समाक्षीय बेलन होते है।
3. एक समान रूप से आवेशित बड़ी चालक / कुचालक पट्टिका : सम विभव पृष्ठ सामानांतर तल होते है।