DNA अंगुली छापन (DNA finger printing ):-
किन्ही दो व्यक्तियों की DNA तुलना करने की विस्तरित विधि को DNA finger printing कहते है। इसमें निम्न क्रियाऐं की जाती है।
डीएनए का पता लगाना:-
DNA के बहुत बडे भाग का निर्माण पुनवावर्ति अनुक्रम के द्वारा होता है तथा यह भाग विभिन्नता युक्त होता है इसकी पहचान की जाती है जिसे r-DNA कहते है।
S-DNA
DNA के छोटे -2 टुकडों में घनत्व आप केन्द्रण विधि के द्वारा पृथक करते है जीनों में DNA की बडी डेरी प्राप्त होती है तथा उसके पास की छोटी डेरी प्राप्त होती है जिसे ै.DNA (अनुसंगी DNA) कहते है। यह अत्यधिक बहुरूपता लिये होता है बहुरूपता उत्परिवर्तन के कारण आती है। जब वंशानुगत उत्परिवर्तन बहुत अधिक संख्या में होते है तो इन्हें बहुरूपता कहते है।
इस प्रकार प्राप्त बहुरूपी S-DNAको प्रोष या जासूस भी कहते है यह अपने समाजात के साथ संक्ररित बनाते है इसलिए इनके अनुबद्ध पुनरार्तक की विभन्न संख्या VNTR कहते है।
सर्दन ब्लाट हाइबिडाइबेसन:-
श्रय एलैक जेफरीज को दिया जाता है DNA finger printing की सर्दन ब्लाट हाइबिडाइजेसज में VNTR DNA finger printing का प्रयोग किया जाता है इसके मुख्य निम्न चरण है।
1 DNA का विसगन
2 प्रतिबन्धन एन्जाइम त्म् द्वारा DNA का पाचन।
3 जैल इलेक्ट्रकोरेसिस विधि द्वारा DNA का पृथककरण
4 नाइट्रोसेललोस सिल्ली पर DNA का स्थानान्तरण।
5 चिन्हित न्छज्त् के द्वारा DNA का सक्रंण
6 स्वविकिरण चित्रण द्वारा संकरित क्छ। खण्डों का चित्र प्राप्त करना।
DNA अंगुली छाप का महत्व:-
1- न्यायालय विज्ञान में:- हस्या, बलात्मकार, जैसे आपराधों में अपराधी का पता लगाने हेतु तथापेैतृकता के निर्धारण हेतु।
2-आनुवाँशिकता एवं विकास के अध्ययन में