जीवन स्वरूप का विकास विभिन्न मत या जैसे विकास के सिद्धान्त

Development of life forms different doctrines or theories जीवन स्वरूप का विकास विभिन्न मत या जैसे विकास के सिद्धान्त:-

1- विशिष्ट सृष्टि का सिद्धान्त:-

यह एक धार्मिक सिद्धान्त है। इसके अनुसार वर्तमान में उपत्र विभिन्न जीव रूप हजारो करोडो वर्ष पूर्व भी पाये जाते है पृथ्वी पर जैव विविधता प्रार।भ से ही की।

2- लामर्किवाद:- उपार्जित लक्षणों की वंषाकृति:-लीमार्क ने अंगों की उपयोगिता या अनुपयोगिता के आधार पर जैव विकास को स्पष्ट किया। उदाहरण जिराफ की गर्दनका लम्बा होना।

3- डार्विनवाद -प्राकृतिक वरण का सिद्धान्त:- 

डार्विनलवाद की दो मुख्य संकल्पनाएँ है।

1 षारवनी आवरोहण

2 प्राकृतिक वरण।

चाल्र्स डार्विन एक प्रकृति प्रेमी था तथा अपने भ्डै बीगल नामक जाहज पर पूरे विष्व की समुद्री मार्ग से यात्रा कि उसने बताया कि पृथ्वी पर वर्तमान उपस्थित जीव अपने पूवजों से न्यूनाधिक रूप से समानता रखते है।

जीवों में संतान उत्पत्ति की दर बहुत होती है इनमें जीवन संघर्ष होता है संघर्ष के दौरान की उत्तरजीविता कहा। प्रकृति योगत्म का चुनाव करती है इसलिए से प्राकृतिक वरण का सिद्धानत कहा जाता है।

प्राकृतिक वरण के सिद्धानत के उदाहरण‘:-

समयावधिपरिस्थितियाँ

इंग्लैण्ड में 1850 औद्योगिकीकरण से पूर्व  ष्ष्वेत लाइकेन वृक्षों पर ष्ष्वेत षलभ अधिक काले गहरे वर्ण के षलभ कम षिकारी पक्षी द्वारा पहचाने व खाने जाने के कारण

1920 औधोगिकरण के पष्चात् षहरोमो ष्वेत लाइकेन ष्वेत षलभ कम काले षलभ अधिक

1920 के बाद गाँवों में ष्वेत लाइकेन ष्वेत षलभ उप0 काले षलभ कम

डार्विन मालल्स अध्ययन से अत्यधिक प्रभावित था मलनथ्स ने मौसमी उतार-चढाव के अतिरिक्त जीवों की संख्या लगीाग स्थिरत रहती है।

एलफ्रेड मालल्स अध्ययन से अत्यधिक प्रभावित था मालथ्स ने मौसमी उतार चढाव के अतिरिक्त जीवों की संख्या लगीाग स्थिर रहती है।

एल्फ्रेड वालेस ने मत्यआर्क पेलेगो पर प्रयोग करते हुये डार्विन के समान ही निष्कर्ष निकाले।

उदाहरण – 1 मनुष्य का हाथ अग्रपाद चीता का अग्रपाद व्हेल का फ्ल्पिर पंख चमगादड का पंख।

2- स्तनी के हृदय एवं मस्तिक

पप- बोरानाविलिया के कटंक एवं कुकुरवीटा के प्रतान:-

चित्र

पप . समवृति संरचना या अभिसारी विकास ।दंसवहने वतहंद:- वे संरचना जिनकी उत्पत्ति एवं संरचना में विभिन्नता होती है किनतु कार्यो में समानता होती है उन्हें समवृति संरचना कहते है।

संरचना के विभिन्नता के बावजूद कार्यो में समानता होती है इस प्रकार के विकास को अभिसारी विकास कहते है।

उदाहरण:-

1 तितली एवं पक्षी के पंख

2 मनुष्य स्तनी एवं आक्टोपस की आँखे

3 पेगिवन के पंख एवं उोलकिल के फिलिपर

4 आलू और षंकरकंद जड।