चुम्बकन की तीव्रता , क्षेत्र , चुम्बकीय प्रवृति , पारगम्यता की परिभाषा , सूत्र , विमा magnetic susceptibility in hindi

यहाँ हम चुम्बकत्व ( magnetic susceptibility in hindi , चुम्बकन की तीव्रता , क्षेत्र , चुम्बकीय प्रवृति , पारगम्यता की परिभाषा , सूत्र , विमा) से सम्बधित कुछ परिभाषाओं के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे तथा इनके सूत्र , विमा इत्यादि को भी पढेंगे।

1. चुम्बकन की तीव्रता (Intensity of magnetism)

हम जानते है की जब किसी पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो वह पदार्थ चुम्बकित होने लगता है अत: ” किसी भी पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर अधिकतम कितना चुम्बकित किया जा सकता है उस अधिकतम सीमा को चुम्बकन की तीव्रता कहते है “
इसको इस प्रकार से भी परिभाषित किया जा सकता है ” किसी भी पदार्थ के एकांक आयतन में उत्पन्न चुम्बकीय आघूर्ण को ही चुम्बकन की तीव्रता कहते है “
माना चुम्बकीय आघूर्ण M है तथा पदार्थ का आयतन V है तो परिभाषा से
चुम्बकन की तीव्रता (I) = चुम्बकीय आघूर्ण/आयतन
I = M/V
इसका मात्रक A/m होता है तथा विमा [M0L-1T0A1] होती है , यह एक सदिश राशि भी है

2. चुम्बकन क्षेत्र H (Magnetizing field)

जब किसी चुम्बकीय पदार्थ को किसी क्षेत्र में चुम्बकन के लिए रखा जाता है तो उस क्षेत्र को चुम्बकन क्षेत्र कहते है , अर्थात वह क्षेत्र जिसमे किसी चुम्बकीय पदार्थ को रखने पर वह चुंबकीय पदार्थ चुम्बकित हो जाता है उस क्षेत्र को चुम्बकन क्षेत्र कहते है
, इसे H से प्रदर्शित किया जाता है
गणितीय रूप में चुम्बकन क्षेत्र की तीव्रता (B0) तथा निर्वात की पारगम्यता (μ0) के अनुपात को चुम्बकन क्षेत्र कहते है
H = B0/μ0
यह एक सदिश राशि भी है  , इसका मात्रक A/m होता है

3. चुम्बकीय प्रवृति (magnetic susceptibility)

किसी भी पदार्थ का वह गुण जो यह बताता है की जब उस पदार्थ को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जायेगा तो वह कितनी आसानी से चुम्बकित हो जायेगा , पदार्थ के इस गुण को चुम्बकीय प्रवृति कहते है इसे जाई (x) से प्रदर्शित किया जाता है
अत: किसी पदार्थ के चुम्बकन की तीव्रता I , चुम्बकीय क्षेत्र H के समानुपाती होता है
I ∝   H
I = x. H
यहाँ X चुम्बकीय प्रवृति है
अत:
x = I/H
अत: हम कह सकते है की चुम्बकन की तीव्रता I तथा चुम्बकीय क्षेत्र H के अनुपात को ही चुम्बकीय प्रवृति (X) कहा जाता है

4. चुम्बकीय पारगम्यता (magnetic permeability)

चुम्बकीय बल रेखाएं जिस अधिकतम सीमा या कोटि तक किसी पदार्थ में प्रवेश कर पाती है उस अधिकतम सीमा के मान को उस चुम्बकीय पदार्थ की चुंबकीय पारगम्यता कहते है
इसको μ से दर्शाया जाता है।
इसको निम्न प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है
” चुम्बकीय प्रेरण B तथा चुंबकीय क्षेत्र H के अनुपात को चुम्बकीय पारगम्यता कहते है”
μ = B/H
इसका SI मात्रक TmA-1 होता है।

चुम्बकीय प्रवृत्ति

किसी पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति से यह समझा जाता है कि वह पदार्थ कितनी सुगमता से कितना अधिक चुम्बकत्व ग्रहण करता है। यदि चुम्बकन क्षेत्र  अर्थात पदार्थ की चुम्बकित करने वाले बल का मान भ् हो और वह पदार्थ में चुम्बकन तीव्रता प् उत्पन्न कर सकें, तो चुम्बकीय प्रवृत्ति-

= ज्ञ (नियतांक)

यहाँ  को काई पढ़ा जाता है। ज्ञ (नियतांक) को पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति कहते है। अतः एकांक चुम्बकन-क्षेत्र के कारण किसी पदार्थ मे जो चुम्बकन-तीव्रता उत्पन्न होती है, उसे उस पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति कहते हैं।