दे-ब्रोग्ली का प्रकाश की द्वैती प्रकृति का सिद्धांत , डी ब्रोग्ली सिद्धान्त (de broglie theory in hindi)

(de broglie theory in hindi) दे-ब्रोग्ली का प्रकाश की द्वैती प्रकृति का सिद्धांत , डी ब्रोग्ली सिद्धान्त : प्रकाश की प्रकृति तथा इससे सम्बंधित घटनाओं को समझाने के लिए मैक्स प्लांक ने प्रकाश को ‘कण’ के रूप में माना तथा दूसरी तरफ मैक्सवेल ने प्रकाश को ‘तरंग’ के रूप में माना।

जब मैक्स प्लांक ने प्रकाश को कणों के रूप में माना तो अपने इस सिद्धांत के आधार पर वो प्रकाश से सम्बंधित कई घटनाओं जैसे प्रकाश विद्युत प्रभाव , कॉम्पटन प्रभाव आदि की सफलतापूर्वक व्याख्या करने में सफल रहे लेकिन प्रकाश की अन्य कई घटनाओं की व्याख्या भी वे अपने इस सिद्धांत से नहीं कर पाए।
तथा जब मैक्सवेल ने प्रकाश को विद्युत चुम्बकीय तरंग के रूप में माना तो उन्होंने ने भी अपने इस सिद्धांत के आधार पर कई घटनाओं जैसे परावर्तन , अपवर्तन , ध्रुवण , विवर्तन , व्यतिकरण आदि की व्याख्या करने में सफल रहे लेकिन इस सिद्धांत के आधार पर भी प्रकाश से सम्बन्धित सभी घटनाओं की व्याख्या नहीं की जा सकती।
इन दोनों सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए डी ब्रोग्ली ने प्रकाश की द्वैत प्रकृति का सिद्धांत दिया जो निम्न है –

प्रकाश की द्वैत प्रकृति का सिद्धांत

दे-ब्रोग्ली ने अपने इस सिद्धांत में बताया कि प्रकाश में कण और तरंग दोनों के गुण व लक्षण पाए जाते है अर्थात प्रकाश कभी कण की तरह व्यवहार करता है और कभी तरंग की तरह।  अर्थात प्रकाश की द्वैती प्रकृति होती है। किसी एक घटना के समय प्रकाश या तो कण की तरह व्यवहार करेगा या तरंग की तरह , दोनों गुण एक साथ किसी घटना में दिखाई नहीं देते है अर्थात दोनों एक दुसरे के पूरक होते है।
यदि किसी घटना में प्रकाश तरंग है तो उस समय वह कण की तरह व्यवहार नहीं करेगा तथा यदि किसी घटना में प्रकाश कण की तरह व्यवहार कर रहा है तो उस समय प्रकाश तरंग की तरह का कोई गुण प्रदर्शित नहीं करता है , किसी एक समय दोनों में से एक गुण या लक्षण प्रभावी रहता है।
अर्थात ये किसी सिक्के के दो पहलु के समान होते है , दोनों पहलु एक ही सिक्के पर होते है लेकिन जब इसे उछाला जाता है तो या तो दोनों में से एक ही प्रदर्शित होता है , दोनों पहलु एक साथ प्रदर्शित नहीं हो सकते है।
इस सिद्धांत को दे-ब्रोग्ली (डी ब्रोग्ली) का प्रकाश की द्वैती प्रकृति का सिद्धांत कहते है।