कोशिकाद्रव्य , अन्त: झिल्लिका तंत्र , अन्त: प्रद्रव्यी जालिका ,गॉल्जीकाय क्या है , कार्य cytoplasma in hindi

(cytoplasma in hindi ) कोशिकाद्रव्य : कोशिका कला व केन्द्रक कला के मध्य उपस्थित सम्पूर्ण पदार्थ कोशिका द्रव्य कहलाता है |

कोशिका द्रव्य संरचना विहीन , तरल पदार्थ होता है जिसमे अनेक संरचनाएँ तैरती हुई पायी जाती है | सजीव संरचनाएँ कोशिकांग कहलाती है तथा निर्जीव संरचनाएं मेटाप्लास्ट कहलाती है , कोशिका द्रव्य में वसा की बूंदे , ग्लाइकोजन कण , स्टार्च कण , रिक्तिकाएं व अन्य पदार्थ उपस्थित रहते है , कोशिकांग दोहरी या एकल झिल्ली से ढके रहते है |

अन्त: झिल्लिका तंत्र : झिल्लीदार कोशिकांग संरचनात्मक व क्रियात्मक रूप से अलग होते है परन्तु अनेक कोशिकांगो के कार्य एक दूसरे से सम्बंधित होते है ऐसे कोशिकांगो को अन्त: झिल्लिका तन्त्र के अन्तर्गत रखा जाता है |

उदाहरण – ER , गोल्जीकाय , लयनकाय ,रस धानी आदि |

माइटोकोन्ड्रिया हरित लवक व परऑस्कीसोम को अन्त: झिल्लि का तंत्र में नहीं रखा जाता है |

अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (endoplasnic reclialum) :

खोज : ER की खोज 1942 पोर्टर नामक वैज्ञानिक ने की |

स्थिति : यह कोशिका में केन्द्रक झिल्ली व केन्द्रक के मध्य नालिकाओ के जाल के रूप में पायी जाती है |

प्रकार : अन्त: प्रद्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है |

  1. खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (RER) : इस ER की बाहरी सतह पर राइबोसोम के कम पाये जाते है , यह प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होती है |
  2. चिकनी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (SER) : इस ER की सतह पर राइबोसोम के कम नही पाये जाते है , यह लिपिड व स्टेरॉइड का संश्लेषण करती है |

कार्य :

  1. यह प्रोटीन व स्टेरॉइड के संश्लेषण में सहायक होती है |
  2. यह गोल्जिकोय के केन्द्रक झिल्ली के निर्माण में सहायक होती है |
  3. यह कोशिका व बाह्य माध्य के मध्य पदार्थो के परिवहन में सहायक होती है |

गॉल्जीकाय (Golgibody)

खोज : गॉल्जीकाय की खोज केमिलोगॉल्जी ने 1898 में की थी |

स्थिति : यह कोशिका में केन्द्रक के पास चपटी नलिकाओं के रूप में पायी जाती है |

संरचना : यह चपटी , डिस्क के आकार की थैलियो (नलिका) से बनी होती है , जिनका व्यास 0.5 – 1.0 um होती है | ये थैलियाँ एक दूसरे के समान्तर स्थित होती है जिसे जालिकाय कहते है , गॉल्जिकाय में थैली या कुण्ड की संख्या अलग अलग होती है , कुण्ड के दो भाग होते है , एक निर्माणकारी सतह (सिस) दूसरा परिपक्व सतह (ट्रांस) कहलाता है , दोनों सिरे पूर्णत: अलग होते है परन्तु आपस में जुड़े रहते है |

कार्य :

  1. अनावश्यक पदार्थ या द्रव्य को कोशिका के बाहर स्त्राव करती है |
  2. अनावश्यक पदार्थ या तरल को लक्ष्य अंग तक पहुँचाती है इसलिए इसे कोशिका का यातायात प्रबंधक भी कहते है |
  3. गॉल्जीकाय कोशिका भित्ति , लाइसोसोम , ग्लाइकोलिपिड , ग्लाइकोप्रोटीन के निर्माण में भी सहायता करती है |