Bacteria, viruses, protozoa-borne diseases जीवाणु जनित रोग लक्षण & वायरस ,प्रोटोजोआ बचाव रोकथाम in hindi Bacteria se hone wale rog . कौन सी बीमारी बैक्टीरिया से होती है ?
1 रोग का नाम – टायफाइड
रोग जनक-साल्मोनेला टाइफी
प्रसारण/संचरण-दुर्षित भाोजन एवं पानी द्वारा
प्रभावित अंग-आँत
लक्षण:-
प्रारंभिक – 1- लगातार बुखारा 390 से 400ब्
2- सिरदर्द
3- कमजोरी
4- आमाश्य में पीडा
5- कब्ज
6- भूख न लगना
गंभीर स्थिति:- आँत में छेद घाव एवं मृत्यु
जाँच परीक्षण – 1- विडाल टेस्ट
रोचक मत्यस – 2- मेरी मेलाॅन
3- रसोईया ने कई लोगों को डायफाॅइड से संक्रमित किया इसलिए इसे टायफाॅइड मेरी नाम दिया गया।
बचाव रोकथाम – 1- व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्वच्छता
2- सडे-गले फल एवं सब्जीयों का प्रयोग न करना।
3- बाँसी एवं खुले में रखे खाद्य पादार्थो का सेवन न करना।
4- जलाशयों तालाबों एवं पीने के पानी के स्थानों की सफाई।
5- अपशिष्ट पदार्थो का समुचित निपटान।
न्यूमेनिया:-
रोगजनक – 1- हीमोफिलस इफंमूल्ंजी
2- स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी
प्रसरण – संक्रमित व्यक्ति के टेरोसाॅल के द्वारा।
प्रभावित अंग – फेफड़ांें के वायु कोश
लक्षण:-
प्रारंभिक स्थिति – 1- फेफडों के वायुकोशो ंमें तरल भरना
2- श्वास लेने में कठिनाई
3- धडकन बढना
4- सिरदर्द
5- बुखार
6- थकावट
इद्ध गंभीर स्थिति – हाथ की अंगुलियों के नाखूनो ंएवं होठों का रंग घुसर ळतंल से नीला हो जाता है।
रोकथाम – संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क से बचना चाहिए।
वायरस जनित रोग:-
जीवाणु- रोग का नाम – जुकाम
रोग जनक – राइनोवाइरस
प्रसारण – संक्रमित व्यक्ति के छींकने व खासने के द्वारा बिन्दुओं के प्रसारण से
संक्रमित व्यक्ति द्वारा स्पर्श की गई किताब, पेन्सिल,
की-बोर्ड, माउस, बर्तनों दरवाजो ंके हैण्डल आदि के छूने से।
प्रभावित अंग
लक्षण – 1- नासिका अस्त्राव
2- नासिक संकुलता
3- खाँसी
4- सिरदर्द
5- स्वर रूखस्तंता
6- कंठघास
7- छींक आना।
रोकथाम उपाय – न्यूमोनिया के समान
प्रोटोजोआ जनित रोग – रोग का नाम – मलेरिया
रोगजनक – प्लाजमोडियम वाइवैक्स
प्लाजमोडियम मलेरियाई
प्लाज्मोडियम फालंसीफेरम (घातक)
रोग वाहक – मादा-ए नरफिलीज मच्छर
प्रारंभिक स्थिति – 1- ठिठूरन सर्दी के साथ बुखार
2- प्रायः दोपहर या मध्यरात्री में बुखार आना
3- पसीने के साथ बुखर का उतरना
4- खाँसी एवं सिरदर्द
5- कब्ज होना
6- थकावट या कमजोरी
7- पेशियो ंएवं जोडों में दर्द
गंभीर स्थिति – 1-त्ठब् नष्ट होना।
2-अखमता ( खून की कमी)
3.- यकृत का बढना
4- मृत्यु