Ammeter in hindi अमीटर क्या है : यह एक ऐसी युक्ति है जिसका उपयोग किसी भी परिपथ में प्रवाहित धारा का मान ज्ञात करने या मापने के लिए होता है। अमीटर एक अत्यन्त कम प्रतिरोध वाली युक्ति है तथा इसकी सहायता से धारा का मापन करने के लिए इसको परिपथ में हमेशा श्रेणीक्रम में लगाया जाता है।
अमीटर का प्रतिरोध कम से कम रखा जाता है , इसका प्रतिरोध जितना कम रखा जाता है यह उतना ही सही धारा का मापन कर पाता है।
किसी भी आदर्श अमीटर का प्रतिरोध शून्य माना जाता है।
किसी भी धारामापी को अमीटर में बदलने के लिए धारामापी की कुण्डली के समान्तर क्रम में उचित मान का अल्प प्रतिरोध जोड़ देते है इसे धारामापी का अमीटर में रूपान्तरण भी कहते है तथा समान्तरक्रम में जोड़े गए प्रतिरोध को शण्ट (shunt) कहते है।
यहाँ समान्तर क्रम में प्रतिरोध जोड़ने का उद्देश्य धारामापी की कुंडली का प्रभावी प्रतिरोध कम करना है क्योंकि हम पढ़ चुके है की समांतर क्रम में प्रभावी प्रतिरोध 1/R = 1/R1 + 1/R2
अमीटर का प्रतिरोध कम से कम रखा जाता है , इसका प्रतिरोध जितना कम रखा जाता है यह उतना ही सही धारा का मापन कर पाता है।
किसी भी आदर्श अमीटर का प्रतिरोध शून्य माना जाता है।
किसी भी धारामापी को अमीटर में बदलने के लिए धारामापी की कुण्डली के समान्तर क्रम में उचित मान का अल्प प्रतिरोध जोड़ देते है इसे धारामापी का अमीटर में रूपान्तरण भी कहते है तथा समान्तरक्रम में जोड़े गए प्रतिरोध को शण्ट (shunt) कहते है।
यहाँ समान्तर क्रम में प्रतिरोध जोड़ने का उद्देश्य धारामापी की कुंडली का प्रभावी प्रतिरोध कम करना है क्योंकि हम पढ़ चुके है की समांतर क्रम में प्रभावी प्रतिरोध 1/R = 1/R1 + 1/R2
अमीटर का संरचना चित्र (construction of ammeter)
हम धारामापी तथा इसकी संरचना के बारे में विस्तार से पढ़ चुके है , हम यहाँ ऊपर यह पढ़ चुके है की धारामापी की कुंडली में समान्तर क्रम में अल्प प्रतिरोध जोड़ने से यह अमीटर में बदल जाता है।
अतः अमीटर में धारामापी की कुण्डली के समान्तरक्रम में उचित प्रतिरोध जोड़कर अमीटर बनाया जाता है जैसा चित्र में दिखाया गया है
अतः अमीटर में धारामापी की कुण्डली के समान्तरक्रम में उचित प्रतिरोध जोड़कर अमीटर बनाया जाता है जैसा चित्र में दिखाया गया है
किसी भी अमीटर का प्रभावी प्रतिरोध का मान लगाए गए शंट प्रतिरोध के लगभग बराबर ही होता है।